दो दशक पुराना टोकन कहां से लाएंगे निराधार, धूप में खड़े रहने को मजबूर

दो दशक पुराना टोकन कहां से लाएंगे निराधार, धूप में खड़े रहने को मजबूर

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-02 15:12 GMT
दो दशक पुराना टोकन कहां से लाएंगे निराधार, धूप में खड़े रहने को मजबूर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार ने मानधन का लाभ आगे भी जारी रखने के लिए निराधार लाभार्थियों को जिंदा होने का प्रमाणपत्र पेश करने को कहा है। इस प्रमाणपत्र के साथ ही टोकन भी साथ लेने को कहा है, जो दो दशक पहले कार्यालय की तरफ से जारी किया गया था। टोकन नहीं होने से कई लाभार्थी कार्यालय के चक्कर काट रहे है। धूप में खड़े रहकर बैरंग लौट रहे है। निराधारों के लिए खुली जगह पर पानी तो रखा है, लेकिन पीने के लिए गिलास तक नहीं है। निराधारों का दावा है कि टोकन के नाम पर बार-बार बुलाकर बैरंग लौटाया जा रहा है। राज्य सरकार ने मानधन प्राप्त करनेवाले लाभार्थियों को 31 मार्च तक जिंदा होने का प्रमाणपत्र कलेक्टोरेट स्थित संजय गांधी निराधार कार्यालय में पेश करने को कहा है। इसके साथ आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक पासबुक व टोकन की फोटो कापी जोड़ने को कहा है। जिले में 2 लाख से ज्यादा लाभार्थी है आैर सभी का मानधन उनके बैंक खाते में पहुंचता है। कई लाभार्थी दो दशक से ज्यादा समय से मानधन ले रहे है। दो दशक से ज्यादा समय तक कार्यालय से दिया गया टोकन संभालकर रखना संभव नहीं होता। केवल टोकन नहीं होने से बैरंग लौटाया जा रहा है।

कार्यालय में मौजुद है सारा डाटा

सारी प्रक्रिया आनलाइन होने के अलावा लाभार्थी का सारा डाटा कार्यालय में उपलब्ध है। लाभार्थी का नाम-पता, बैंक खाता, टोकन नंबर, कब से आैर कौनसी योजना के तहत मानधन दिया जा रहा है, इसका सारा डाटा कार्यालय में उपलब्ध है। जिंदा होने का प्रमाणपत्र पेश करते समय हस्ताक्षर व अंगूठा भी लिया जा रहा है। दो दशक पूराना टोकन मांगना तर्कसंगत नहीं लग रहा।

टोकन के नाम पर प्रताड़ित कर रहे

गणेशपेठ की प्रमिला ठाकरे (53), हुडकेश्वर की माया कुंभारे (42) व गांजाखेत चौक की बुजुर्ग सत्यभामा बारापात्रे ने बताया कि जिंदा होने के प्रमाणपत्र के साथ आधार कार्ड, बैंक पासबुक, राशन कार्ड की फोटो कापी दे दी है। केवल टोकन नहीं होने से एक सप्ताह से ज्यादा समय से बुलाकर बैरंग लौटाया जा रहा है। कार्यालय के रिकार्ड में हमारा टोकन नंबर है। 20 साल से ज्यादा समय होने से टोकन गुम हो गया। केवल टोकन के नाम पर प्रताडित किया जा रहा है।

टोकन के आवेदन भी खत्म

लाभार्थियों का दबाव बढ़ने के बाद कार्यालय की तरफ से टोकन नंबर प्राप्त करने के लिए मुद्रांकित फार्म बांटे गए, लेकिन ये फार्म भी तुरंत ही खत्म हो गए। कार्यालय की तरफ से बताया गया कि आवेदन खत्म हो गए है। टोकन के लिए जिनके आवेदन मिले, उन्हें एक सप्ताह बाद टोकन नंबर दिया जाएगा।

कार्यालय में भीड़ और तहसीलदार नहीं

कार्यालय में तहसीलदार रोशन मकवाने व चैताली सावंत की नियुक्ति की गई है। जब भीड़ कार्यालय में थी, तब दोनों तहसीलदार नहीं थे। दोपहर 3.15 बजे तहसीलदार भोजन करने जाने की जानकारी कार्यालय के स्टाफ की तरफ से दी गई।

मेरे तरफ नहीं आता

मोबाइल पर संपर्क करने पर तहसीलदार रोशन मकवाने ने कहा कि मैं ग्रामीण के लाभार्थियों का काम देखती हूं। यह भीड़ शहर के लाभार्थियों की है। यह काम मैं नहीं देखती। शहर के लिए दूसरी तहसीलदार है, उनसे संपर्क करे। तहसीलदार सावंत से संपर्क नहीं हो सका। 


 

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