Nagpur News: मैनपावर के अभाव में अटकी मेट्रो ब्लड बैंक, कर्मचारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार
- नैट तकनीक से हो सकेगी जांच
- चिंता - ब्लड बैंकों में रक्त की किल्लत
Nagpur News : सरकारी स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा को निजी क्षेत्र के बराबर लाने का प्रयास करने का दावा किया जाता है। दूसरी ओर जो प्रस्ताव बरसों पहले मंजूर किये गए है, उनकी सुध तक नहीं ली जा रही है। शहर में चार सरकारी ब्लड बैंक है। इनमें मेडिकल, सुपर स्पेशालिटी, मेयो व डागा अस्पताल की ब्लड बैंकों का समावेश हैं। इनमें से डागा की ब्लड बैंक को अत्याधुनिक मेट्रो ब्लड बैंक के रूप में तैयार करने की घोषणा 9 साल पहले की गई थी। इसके लिए उपकरण मिल चुके हैं, लेकिन यहां मनुष्यबल की भर्ती की सुध नहीं ली जा रही है। यहां 16 कर्मचारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने से मेट्रो ब्लड बैंक शुरू नहीं हो पायी हैं।
नैट तकनीक से हो सकेगी जांच
मेट्रो ब्लड बैंक नैट तकनीक युक्त होगी। इस तकनीक से रक्त का वर्गीकरण कर अतिसूक्ष्म जांच की जा सकेगी। निजी ब्लड बैंकों में नैट तकनीक से जांच किया गया रक्त अधिक दामों में मिलता है। सरकारी में आमजनों को अधिक पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे। कोरोनाकाल के बाद उम्मीद थी कि सरकार इसकी दखल लेगी, लेकिन अब तक मनुष्यबल की भर्ती नहीं होने से ब्लड बैंक अटक चुकी है।
ब्लड बैंक कक्ष व उपकरण तैयार
2015 में सरकार की ओर से तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने राज्य के 10 शहरों में मेट्रो ब्लड बैंक शुरू करने की घोषणा की थी। इन शहरों में नागपुर समेत नाशिक, अहमदनगर, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, परभणी, ठाणे, पुणे और सातारा का समावेश था। नागपुर में डागा अस्पताल में मेट्रो ब्लड बैंक शुरू करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। इस दिशा में काम भी किया गया। मेट्रो ब्लड बैंक के लिए अलग कक्ष, जरूरी उपकरण आदि तैयार है, लेकिन यह ब्लड बैंक इसलिए शुरू नहीं हो पायी कि यहां मनुष्यबल नहीं है। यहां 16 कर्मचारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव है। कर्मचारियों में ब्लड बैंक प्रभारी, विशेषज्ञ, सहायक कर्मचारी व चतुर्थ श्रेणी का समावेश बताया गया है। इन सभी कर्मचारियों की नियुक्तियां ठेका पद्धति से करने का प्रस्ताव है। इसको मंजूरी नहीं मिल पायी है।
चिंता - ब्लड बैंकों में रक्त की किल्लत
जिले की चार ब्लड बैंकों में रक्त की किल्लत है। दिवाली के पर्व के पहले से यह स्थिति बनी है। इसके बाद चुनाव के कारण रक्तदान पर असर हुआ। जिले में चार सरकारी ब्लड बैंक हैं। इनमें शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) की आदर्श ब्लड बैंक, मेयो अस्पताल, डागा अस्पताल व मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में ब्लड बैंक है। मेयो के सूत्रों ने बताया कि उनके पास केवल दो-तीन ही रक्त यूनिट संकलित हो रहा है। इसलिए वहां मांग के हिसाब से बड़ी किल्लत मची है। यहां हर रोज औसत 30 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। वहीं मेडिकल व सुपर में दोनों मिलाकर हर रोज औसत 55 यूनिट व डागा अस्पताल में औसत 20 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में ब्लड बैंकों में 5 से 10 यूनिट तक ही स्टॉक है। बताया गया कि दिवाली से पहले से यह स्थिति बनी है। इन दिनों शिविरों का आयोजन नहीं होता। वहीं स्वयंसेवी संगठन व कार्यकर्ता चुनाव में व्यस्त होने के कारण स्वेच्छा रक्तदाताओं की संख्या नहीं के बराबर रही है। इसलिए नियमित संकलित औसत रक्तदान नहीं हो पाया।
पिछले साल 8000 यूनिट की कमी
चारों ब्लड बैंको में सालाना 32500 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। शिविर व स्वेच्छा रक्तदाताओं की मदद से 23500 यूनिट रक्त संकलन होता है। चारों ब्लड बैंकों द्वारा सालभर में 300 से अधिक शिविरों के माध्यम से रक्त संकलन किया जाता है। पिछले साल 8000 यूनिट रक्त की किल्लत मची थी। सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंदों को सरकारी ब्लड बैंकों से रक्त नहीं मिलने पर उन्हें बाहर से मुंहमांगे दामों पर रक्त खरीदना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज गरीब वर्ग के होते हैं। इसलिए उनके लिए बाहर से रक्त खरीदना मुश्किल काम होता है। रक्तदान अभियान चलाने वाले समाजसेवी नरेंद्र सतीजा ने रक्तदाताओं से सरकारी ब्लड बैंकों में ही रक्तदान करने का आह्वान किया है। जिससे कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले गरीब मरीजों को समय पर रक्त मिल सके और उन्हें अधिक पैसा खर्च न करना पड़े। उन्होंने इसे सामाजिक जिम्मेदारी बतायी है।