यूनिवर्सिटी और प्रिंसिपल्स के बीच 50-50 फॉर्मूले पर नहीं बन रही सहमति

यूनिवर्सिटी और प्रिंसिपल्स के बीच 50-50 फॉर्मूले पर नहीं बन रही सहमति

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-15 09:10 GMT
यूनिवर्सिटी और प्रिंसिपल्स के बीच 50-50 फॉर्मूले पर नहीं बन रही सहमति

डिजिटल डेस्क,नागपुर। यूनिवर्सिटी ने अपने यहां एग्जाम का  50-50 फॉर्मूला लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें आधे सेमेस्टरों की एग्जाम्स कॉलेजों को सौंपी जाएगी। यूनिवर्सिटी के इस निर्णय का कॉलेज विरोध कर रहे हैं।  डॉ. बबनराव तायवाडे के नेतृत्व में प्राचार्य फाेरम के प्रतिनिधिडल ने यूनिवर्सिटी कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे से मुलाकात की। करीब तीन घंटे चली इस बैठक में सभी प्रिंसिपल्स ने यूनिवर्सिटी  के फैसले पर आपत्ति जताई। कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षक और एग्जाम्स आयोजित करने के लिए जरूरी तंत्र नहीं होने का हवाला देकर प्राचार्यों ने एग्जाम की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने यूनिवर्सिटी  से अपना फैसला पीछे लेने की अपील की। कुलगुरु के अनुसार यूनिवर्सिटी अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगा। 

एग्जाम्स का बोझ कम करने की तैयारी
बता दें कि, यूनिवर्सिटी अपनी एग्जाम्स प्रणाली में बड़ा बदलाव करना चाह रहा है। यूनिवर्सिटी पाठ्यक्रम की आधे सेमेस्टरों की एग्जाम्स खुद और आधे सेमेस्टरों की जिम्मेदारी कॉलेजों को सौंपना चाहता है। इसकी शुरूआत आगामी सत्र में बीए के पाठ्यक्रम से करने की यूनिवर्सिटी की मंशा है। इस नई एग्जाम्स प्रणाली में एक सेमेस्टर की एग्जाम्स यूनिवर्सिटी लेगा, अगले सेमेस्टर की एग्जाम्स कॉलेज को लेनी होगी। यूनिवर्सिटी ही अंत में डिग्री जारी करेगा। मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी सभी पाठ्यक्रमों की वार्षिक और सेमेस्टर पैटर्न की एग्जाम्स स्वयं लेता है, जिससे एग्जाम्स का यूनिवर्सिटी पर अत्याधिक बोझ बढ़ा हुआ है। हर सत्र में 900 पाठ्यक्रमों की एग्जाम्स ली जाती हैं, जिसमें यूनिवर्सिटी  के चार लाख स्टूडेंट्स एग्जाम में शामिल होते हैं। कॉलेज यूनिवर्सिटी की इस पहल का विरोध कर रहे हैं।

मान्यता कायम रखी जाए
हाल ही में यूनिवर्सिटी ने 90 से अधिक कॉलेजों में कुछ पाठ्यक्रमों की मान्यता ही खत्म कर दी। यहां शिक्षक उपलब्ध नहीं होने से यूनिवर्सिटी ने यह फैसला लिया। बैठक में प्राचार्यों ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने दलील दी कि,यूनिवर्सिटी ने जिन पाठ्यक्रमों को पहले से ही 2018-19 तक मान्यता दे दी थी, यूं बीच में उनकी मान्यता रद्द नही की जाए। जहां तक शिक्षकों की नियुक्ति का प्रश्न है, उन्हें जब तक पात्र शिक्षक नहीं मिल जाते, तब तक कांट्रिब्यूटरी शिक्षकों की सेवाएं लेने की अनुमति दी जाए। फिलहाल कुलगुरु ने कॉलेजों को राहत देने की कोई मंशा जाहिर नहीं की है।  

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