कोरोना से मौत होने के बाद भी नहीं दिया यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम

बीमित का आरोप: सारे दस्तावेज लेने के बाद लगवाया जा रहा चक्कर कोरोना से मौत होने के बाद भी नहीं दिया यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम

Bhaskar Hindi
Update: 2022-07-21 12:15 GMT
कोरोना से मौत होने के बाद भी नहीं दिया यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। एक उम्मीद के साथ आम आदमी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेता है और प्रतिवर्ष उसके प्रीमियम का भी भुगतान करता है। यह सब कवायद भविष्य में असमय आने वाली परेशानी से बचने के लिए की जाती है। पॉलिसी लेकर अपने आप को सुरक्षित पॉलिसीधारक समझता है, पर ये भी जरूरत में काम नहीं आने पर अब बीमितों के बीच आक्रोश व्याप्त होता जा रहा है। ऐसी ही अनेक शिकायतें आ रही हैं। बीमा कंपनियाँ अस्पतालों में भी कैशलेस नहीं दे रही हैं। पॉलिसीधारकों को अस्पताल के सारे बिल पॉलिसी लेने के बाद भी जेब से भरना पड़ रहा है और जब बीमित सारे बिलों के भुगतान के लिए बीमा कंपनी में क्लेम करता है तो बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट करने में जुट जाती है। गलत रिपोर्ट प्रस्तुत करके बीमाधारक को भटकाने का काम बीमा कंपनी के जिम्मेदार करते हैं। पीड़ितों का आरोप है कि बीमा कंपनी के जिम्मेदार जानबूझकर भुगतान में रोक लगाते हैं और उसके बाद सही जवाब नहीं देते हैं।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

14 महीने बाद भी कई तरह के दस्तावेजों की डिमांड की जा रही

यादव कॉलोनी निवासी आदित्य अर्गल ने बताया कि यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया हुआ है। पॉलिसी क्रमांक 1909002820 पी 100549866 का कैशलेस कार्ड भी बीमा कंपनी के द्वारा दिया गया था। वर्ष 2021 में माँ आरती अर्गल कोरोना संक्रमण की शिकार हो गई थीं। माँ को गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहाँ पर इलाज के दौरान माँ श्रीमती आरती की मौत हो गई। बीमा कंपनी के द्वारा इलाज के दौरान कैशलेस भी नहीं किया गया था और सारा भुगतान उन्हें ही अस्पताल में जमा करना पड़ा था। अस्पताल की रिपोर्ट व लाखों रुपए के बिल की कॉपी बीमा कंपनी में घटना के कुछ दिनों बाद दे दिया था। बीमा अधिकारियों के द्वारा उसमें अनेक प्रकार की गलतियाँ निकाली गईं तब सारी गलतियों को दूर कराते हुए अस्पताल से सत्यापित रिपोर्ट फिर से बीमा कंपनी में सबमिट की गई थी। बीमा कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी व टीपीए के अधिकारियों ने जल्द क्लेम देने का वादा किया था, पर 14 महीना बीत जाने के बाद भी बीमा अधिकारियों के द्वारा प्रकरण का निराकरण नहीं किया गया। संपर्क करने के बाद बीमा कंपनी के अधिकारियों द्वारा कहा जाता है कि एक माह में पूरा भुगतान कर दिया जाएगा, पर उनका एक माह आ ही नहीं रहा है, वहीं बीमा अधिकारियों का कहना है कि प्रकरण का परीक्षण कराने के बाद जल्द ही बीमा क्लेम का निराकरण करा दिया जाएगा।
 

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