Nagpur News: फरवरी में नागपुर आएगा छत्रपति शिवाजी महाराज का बाघनख, संग्रहालय में बन रही विशेष गैलरी
- सिविल लाइन्स के मध्यवर्ती संग्रहालय में बन रही विशेष गैलरी
- लंदन से प्रदर्शन के लिए आया बाघनख
Nagpur News : राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज के ऐतिहासिक ‘बाघनख' का दर्शन करने का सौभाग्य जल्द ही नागपुरवासियों को भी मिलेगा। ‘बाघनख' लंदन के संग्रहालय से विशेष रूप से प्रदर्शन के लिए लाया गया है। उपराजधानी नागपुर के मध्यवर्ती संग्रहालय (अजायबघर) में अगले साल फरवरी माह से मराठा इतिहास की सबसे अविस्मरणीय घटना के इस विशेष स्मृति को लोग देख पाएंगे। मराठा गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान की हत्या के लिए इसका इस्तेमाल किया था। लंदन के संग्रहालय से विशेष अनुबंध के तहत तीन साल के लिए भारत में ‘बाघनख' लाया गया है। ‘बाघनख' के लिए अस्थायी दालन तैयार करने का काम मध्यवर्ती संग्रहालय में हो रहा है।
इस संग्रहालय में 28 हजार 887 से अधिक सामग्री : राज्य भर में विविध विषयों पर आधारित करीब 132 संग्रहालय है। इन संग्रहालयों में महान हस्तियों, विविध विषयों, विविध विचारों समेत कलादालन का समावेश है। इनमें पुरातत्व एवं इतिहास से संबंधित विषय पर आधारित उपराजधानी का मध्यवर्ती संग्रहालय पूरे राज्य में मशहूर है। यहां ऐतिहासिक अवशेष के साथ ही कला-व्यवसाय, पुरातत्व, मानव वंशशास्त्र, भूगर्भशास्त्र, निसर्ग, इतिहास की 6 प्रमुख दालन में प्रदर्शनी है। इसके साथ ही ब्रह्मदेश की कलाकृति, प्रागैतिहासिक युग से आधुनिक काल तक के पुरावशेष, देवटेक के सम्राट अशोक का शिलालेख, प्राणियों के अश्मभूत अवशेष समेत वाकाटक काल की विष्णु प्रतिमा समेत अन्य अवशेष भी मौजूद हैं। संग्रहालय में प्रदर्शनीय वस्तु के रूप में 28 हजार 887 से अधिक सामग्री मौजूद है।
लंदन से प्रदर्शन के लिए आया 'बाघनख'
विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय लंदन से शिवाजी महाराज के ‘बाघनख’ को तीन सालों के लिए राज्य सरकार को देने के लिए सहमति दी गई है। पहले चरण में सातारा के छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय में रखने के बाद अब इसे नागपुर केंद्रीय संग्रहालय, कोल्हापुर में लक्ष्मी विलास पैलेस और मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय में जनता को देखने के लिए रखा जा रहा है। विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय संग्रहालय के मुताबिक लंदन से बाघ के पंजे 1971 में ब्रिटिश इतिहासकार और ‘ए हिस्ट्री ऑफ द मराठा' के लेखक जेम्स ग्रांट डफ के पड़पोते ने संग्रहालय में दान किया था। जेम्स ग्रांड डफ ने 1818 से 1825 तक सातारा में ब्रिटिश रेजिडेंट ऑफिसर के रूप में काम किया था। हालांकि डफ द्वारा ‘बाघनख' को लेकर कोई भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अनदेखी का शिकार रहा : मीठा नीम दरगाह के समीप मौजूद मध्यवर्ती संग्रहालय का साल 1883 से मध्य प्रांत के जनसूचना विभाग से संचालन होता रहा। साल 1919 में कृषि विभाग और फिर उद्योग विभाग को बारी-बारी से संचालन के लिए सौंपा गया था। 1947 में स्वतंत्रता के बाद से राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के माध्यम से संचालन हो रहा है। कुछ साल पहले संग्रहालय का जीर्णोद्धार कर उद्यान और कैंटीन तैयार किया गया है। अत्याधुनिकीकरण कर सूचना तकनीक से भी जोड़ने का दावा किया गया, लेकिन वास्तव में संग्रहालय अनदेखी का शिकार हो रहा है। तमाम प्रयासों के बाद भी पिछले साल बरसात के दौरान संग्रहालय की इमारत की छत से पानी टपकने लगा था। ऐसे में ठेकेदार के माध्यम से इमारत पर ताड़पत्री डालकर सुरक्षा करने का प्रयास किया गया था। बरसाती पानी से कलादालन, आदिवासी दालन समेत सभी 7 दालन में संग्रहालय की कलाकृति और पुरातत्व अवशेष खराब हो गई थी। आदिवासी दालन में पुराने वाद्य उपकरणों और कला दालन में कलाकृतियों पर बरसाती पानी टपकने से सुरक्षा के लिए बाल्टी लगाई गई थी। शिवाजी महाराज के बाघनखों की प्रदर्शनी के चलते 7 करोड़ रुपए से जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
सात करोड़ रुपए से होगा जीर्णोद्धार
मयूर खड़के, अभिरक्षक, मध्यवर्ती संग्रहालय के मुताबिक फरवरी में 8 माह के लिए ‘बाघनख' को प्रदर्शनी में रखा जाना है। लंदन के संग्रहालय से विशेष रूप से प्रदर्शन के लिए लाया गया है। ऐसे में संग्रहालय का जीर्णेाद्धार, संवर्धन, सौंदर्यीकरण समेत विशेष गैलरी बनाने के लिए 7 करोड़ रुपए का खर्च किया जा रहा है। बेहद पुरानी इमारत होने से अन्य सामग्री के संवर्धन के लिए भी व्यवस्था की जा रही है।