पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए कंपनियों के चक्कर लगा रहे बेरोजगार

शहडोल पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए कंपनियों के चक्कर लगा रहे बेरोजगार

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-03 09:21 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क,शहडोल। उद्योगों के नाम पर जिले में हजारों करोड़ रुपए के निवेश के बाद भी स्थानीय युवाओं के रोजगार का सपना पूरा नहीं हो रहा है। अंचल के युवा इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्निक व दूसरी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए एसईसीएल, रिलायंस व अल्ट्राटेक सहित दूसरी छोटी-बड़ी कंपनियों के चक्कर लगाते परेशान हैं।  बेरोजगारी की पीड़ा से परेशान युवा बताते हैं कि अंचल में उद्योगों की स्थापना के बाद उम्मीद थी कि रोजगार के नए अवसर स्थानीय युवाओं के लिए भी उत्पन्न होंगे, लेकिन कंपनियों में उत्पादन प्रारंभ होने के बाद भी ज्यादातर बेरोजगार युवाओं के रोजगार का सपना अधूरा ही रह गया।रामपुर बटुरा गांव में स्थानीय युवाओं ने 27 व 28 मार्च को नौकरी के लिए प्रदर्शन किया। इससे दो दिन तक कोयले का उत्पादन भी रुक गया। जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात की। नौकरी की आस लगाए युवाओं ने बताया कि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के सोहागपुर एरिया अंतर्गत रामपुर बटुरा प्रोजेक्ट में लगभग 1460 युवाओं को नौकरी मिलनी है, लेकिन अब तक महज 150 से ज्यादा युवाओं को ही नौकरी मिल सकी है। इसमें भी खैरहा प्रोजेक्ट के मामले शामिल हैं, जो कि दस साल पहले से चल रही परियोजना है। स्थानीय युवाओं को नौकरी देने के बाद एसईसीएल प्रबंधन का सुस्त रवैया बेरोजगार युवाओं की परेशानी लगातार बढ़ा रहा है।

रिलायंस, अल्ट्राटेक में स्थानीय को रोजगार की मांग और कंपनी के दावे

युवाओं की मांग है कि शहडोल के आसपास बड़ी निजी कंपनी रिलायंस, अल्ट्राटेक जैसी कंपनियों में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हों। हांलाकि इस पर रिलायंस सीबीएम प्रोजेक्ट के बिजित झा का दावा है कि 60 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिला है। इसमें शहडोल, बुढ़ार, अनूपपुर, उमरिया, रीवा, सीधी व अन्य जिले शामिल हैं। चूकि यह परियोजना सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील है, इसलिए कुछ पदों पर ऐसे लोगों को रखा गया है जो उसके जानकार हैं। वहीं अल्ट्राटेक कोल माइंस विचारपुर के प्रबंधक सैय्यद कादरी बताते हैं कि यहां 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय युवाओं को मिला है। वे स्थानीयता को परिभाषित करते हुए कहते हैं कि सीएम जब स्थानीय की बात करेंगे तो दायरे में पूरा मध्यप्रदेश होगा। कमिश्नर कहेंगे तो शहडोल संभाग और कलेक्टर कहेंगी तो जिला।

ऐसे समझें युवाओं की पीड़ा

> एमबीए करने के बाद नौकरी के लिए प्रयास कर रहे अर्पित सोनी बताते हैं कि उन्होंने कंपनियों पर कई बार आवेदन किया, लेकिन मौका नहीं मिला। दो साल पहले मुख्यमंत्री कौशल विकास में शहडोल व आसपास संचालित कंपनियां आईं। इंटरव्यू भी लिया, बोले कुछ दिन बाद बताएंगे कि लेकिन अब तक किसी को भी सूचना नहीं आई।
> पॉलीटेक्निक की पढ़ाई पूरी कर चुके आशीष तिवारी बताते हैं कि रिलायंस में नौकरी के लिए कई बार प्रयास किया, लेकिन अवसर नहीं मिला। तीन साल पहले तो स्थानीय युवाओं ने नौकरी के लिए बड़ा प्रदर्शन किया था। कंपनियों के लोग अपनी सुविधा अनुसार लोगों को नौकरी पर रखते हैं। इससे स्थानीय युवाओं के हितों की अनदेखी हो रही है।
> आइटीआई व पोस्ट ग्रेजूएट विक्रम सिंह के अनुसार रिलायंस ने सेमरा में बड़ा प्लांट लगाया, लेकिन उम्मीद के अनुसार युवाओं को रोजगार नहीं मिला। इतना ही नहीं कंपनी ने फूलपुर उत्तरप्रदेश में इकाई लगाई। इससे स्थानीय स्तर पर नुकसान हुआ, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे।
 

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