छूने लायक भी नहीं है गुलौआ ताल का पानी खतरे के स्तर को पार कर गया बैक्टीरिया

छूने लायक भी नहीं है गुलौआ ताल का पानी खतरे के स्तर को पार कर गया बैक्टीरिया

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-22 08:52 GMT
छूने लायक भी नहीं है गुलौआ ताल का पानी खतरे के स्तर को पार कर गया बैक्टीरिया

विश्व जल दिवस विशेष - सौंदर्यीकरण में पौने 7 करोड़ रुपए खर्च, जनता के हिस्से में आया मैला नीर
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने गुलौआताल को खूबसूरत बनाने में लगभग पौने 7 करोड़ रुपए खर्च किए। यहाँ पौधारोपण व पाथ-वे के निर्माण आदि के साथ जिम, फाउंटेन और प्रसाधन केन्द्र आदि बनाए। आकर्षक लाइटिंग भी की, लेकिन इसकी वास्तविक और वर्तमान तस्वीर बेहद डरावनी है। भू-जल विदों की मानें तो गुलौआताल के पानी में इतना अधिक बैक्टीरिया पनप चुका है कि उसके पानी को छूने मात्र से ही शरीर में संक्रमण फैल सकता है। गुलौआताल ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक हनुमानताल, संग्राम सागर तालाब, सूरजताल व प्राचीन इमरतीताल के भी ये ही हालात हैं। इनका पानी कमोबेश नालों की तरह प्रदूषित और जहरीला हो चुका है। जानकारों के अनुसार नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की टीम ने मिलकर वर्ष 2017 में गुलौआताल का सौंदर्यीकरण किया। संस्कारधानी वासियों को यह सौगात मिली तो उनके चेहरे खिल उठे, लेकिन इसके वर्तमान हालात अब लोगों को निराश कर रहे हैं।  संजीवनी नगर निवासी कमलेश तिवारी व कमला नेहरू नगर निवासी धनंजय वाजपेयी व रूपकिशोर प्यासी समेत अन्य क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि गुलौआताल को बेहद खूबसूरत बनाया गया था।  लोग भी यहाँ आने लगे थे, लेकिन अब पानी से दुर्गंध आने लगी है 
मिला घातक कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 
 स्नेह नगर निवासी भू-जल विद विनोद दुबे का कहना है कि शहर का लगभग हर तालाब प्रदूषित है। श्री दुबे ने 15 फरवरी 2021 को गुलौआताल समेत अन्य तालाबों के पानी के सैम्पल्स की जाँच की, इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। गुलौआताल के 100 ग्राम पानी में 79,000 कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाया गया, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार प्राकृतिक जलस्रोतों में बैक्टीरिया की संख्या 0-50 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसी तरह संग्राम सागर तालाब के 100 ग्राम पानी में 69,000, इमरतीताल में 21,000 और हनुमानताल के पानी में  31,000 से अधिक बैक्टीरिया पाए गए। इन तालाबों के पानी में ऑक्सीजन का स्तर भी चिंताजनक तरीके से घटा है। अमोनिया और नाइट्रेट की मात्रा बढ़ी है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि उक्त जलस्रोतों का पानी अब इस्तेमाल करने योग्य नहीं रह गया है। यह जलीय जीवों के लिए भी खतरनाक है। इसमें मछलियाँ व अन्य जलीय जीव घुटकर अपने आप मरने लगते हैं। 
इनका कहना है
गुलौआताल में व्यवस्थाओं की निगरानी नगर निगम करता है। जल के प्रदूषित होने की बात संज्ञान में आई है। तत्परता के साथ इस समस्या के निदान के लिए समन्वित रूप से प्रयास किए जाएँगे।
-आशीष पाठक सीईओ, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
 

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