चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है

चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-12 10:21 GMT
चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है। मां को समर्पित दिन हो और मशहूर शायर मुनव्वर का जिक्र न हो, तो अकीदत पूरी भी नहीं होती। इस बार मदर्स डे पर मशहूर रचनाकार मुनव्वर राणा की ये लाइने आपके दिल को जरूर छू गईं होंगी। सारे रिश्तों की भी जन्मदाता होती  है मां। वह जिंदगी जीने का हौंसला  होती  है। बच्चों की खुशी के लिए वह अपना सब कुछ  त्याग देती है। उसे धरती  पर ईश्वर का प्रतिरूप यूं ही नहीं कहा गया है। मां  के प्रेम, त्याग, समर्पण, सहनशीलता  और  ताकत को शब्दों में भला  कौन बांध सकता है। हर कोई कहता  है - तेरे जैसी केवल तू ही, मदर्स-डे पर माताओं को सबने भावपूर्ण अभिवादन किया। 

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