लोकसभा के बाद अब विधानसभा चुनाव की तैयारी, परिणाम तय करेंगे अगली रणनीति
लोकसभा के बाद अब विधानसभा चुनाव की तैयारी, परिणाम तय करेंगे अगली रणनीति
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होते ही विधानसभा चुनाव की राजनीति के दांव कसे जाने लगे हैं। साफ संकेत मिल रहा है कि इस बार सूखे के मुद्दे से राजनीतिक जमीन सींचने की कोशिश होगी। सरकार या सत्तापक्ष ने सूखे पर जंग की स्थिति को भांपते हुए पहले से ही मैदान में कूद पड़ने का प्लान कर लिया है। इधर विपक्ष भी कमर कसने लगा है। विशेषकर कांग्रेस ने जिला स्तर पर आंदोलन की तैयारी की है। 10 मई के बाद सूखे पर राजनीति का पारा और भी चढ़ने के आसार है। यह भी बताया जा रहा है कि सूखे पर राजनीति के केंद्र में विदर्भ रहनेवाला है। विदर्भ के गांव, खेत की स्थिति को लेकर उठनेवाली आवाज राज्य की राजनीति में रंग भरनेवाली है।
विधानसभा चुनाव लड़ चुके शिवसेना के किशोर कुमेरिया व शेखर सावरबांधे ने अपने अपने स्तर पर अपनी दावेदारी को बल देने का प्रयास किया है। लोकसभा चुनाव के दौरान कुमेरिया ने घर घर संपर्क भी किया। भाजपा में भी टिकट दावेदारों की कमी नहीं है। मोहन मते, रवींद्र भाेयर जैसे नाम लगातार इच्छुक उम्मीदवारों के तौर पर चर्चा में बने हैं। मध्य नागपुर व उत्तर नागपुर में वर्तमान विधायकों के काम पर पहले ही सवाल उठते रहे हैं। रिपोर्ट कार्ड में इन विधायकों को फिसड्डी माना गया है। पश्चिम से विधायक सुधाकर देशमुख स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से दूर रहने का मानस जताते रहे हैं। पूर्व में विधायक कृष्णा खोपड़े की उम्मीदवारी को सेफ माना जा रहा है। लेकिन शिवसेना यहां भी अपना दावा ठोंक सकती है। जिले में रामटेक सीट भी सबसे अधिक चर्चा में है। 2014 में भाजपा के डी.मलिकार्जुन रेड्डी इस सीट से जीते। लेकिन शिवसेना के तीन बार विधायक रहे आशीष जैस्वाल इस बार किसी भी स्थिति में मौका नहीं चूकना चाहते हैं। वे महामंडल अध्यक्ष के तौर पर राज्यमंत्री का दर्जा भी पा चुके हैं। राकांपा ने शहर में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है। लेकिन हर बार कि तरह इस बार भी वह दो सीट का दावा कर रही है। दो सीट के दावे को बल देने के लिए राकांपा में अंदरुनी राजनीति भी सक्रिय हो गई। शहर अध्यक्ष को गैरराजनीतिक ठहराने का प्रयास पार्टी के ही कुछ पदाधिकारी करने लगे हैं। जाहिर है लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद विधानसभावार समीक्षा से नए दावे भी सामने आएंगे।
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के साथ ही विधानसभा चुनाव की तैयारी की चर्चा को बल मिलने लगा है। विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे नेताओं ने अपने अपने स्तर पर चर्चा में बने रहने का प्रयास आरंभ किया है। कुछ को विधानसभा की टिकट कटने का संकेत मिल रहा है तो कुछ इच्छुक उम्मीदवारों ने संबंधित विधायक को कमजोर व जनाधारविहीन दर्शाने का प्रयास शुरु किया है। उधर शिवसेना व राकांपा जैसे राज्य स्तरीय दलों में भी इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने लगी है। नेताओं की नजर में बने रहने के लिए फिल्डिंग लगने लगी है। भाजपा ने इसी सप्ताह से विधानसभा चुनाव की तैयारी के कार्य को गति देने की तैयारी दिखायी है। प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी के प्रमुख नेता व वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पहले ही साफ कर दिया है कि 3 मई से विधानसभा चुनाव की तैयारी को मूर्तरुप देना आरंभ हो जाएगा। उधर कांग्रेस ने भी संगठन कार्य पर ध्यान केंद्रित किया है। जिला स्तर पर देखा जाये तो यहां भाजपा सबसे आगे है। जिले में 12 में से 11 विधायक भाजपा के हैं। लेकिन इस बार भाजपा के ज्यादातर विधायकों के टिकट कटने की संभावना है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद विधानसभा क्षेत्र स्तर पर पार्टी को मिले मतदान का आधार देते हुए कुछ विधायकों को घर बैठने का सीधा संकेत दिया जा सकता है। पिछले दिनों रिपोर्ट कार्ड के आधार पर विधायकों को काम में सुधार की नसीहत पार्टी की ओर से मिल चुकी है। फिलहाल सबसे अधिक चर्चा दक्षिण नागपुर की है। इस सीट से भाजपा के शहर अध्यक्ष सुधाकर कोहले विधायक है। 2014 से पहले इस सीट पर गठबंधन के तहत शिवसेना उम्मीदवार ने चुनाव लड़ा था। 2014 में गठबंधन नहीं हुआ। लिहाजा भाजपा ने कोहले काे उम्मीदवार बनाया था। कोहले जीते भी। लेकिन इस सीट पर शिवसेना फिर से दावा कर सकती है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार सूखे का मामला विदर्भ में पहले से ही गर्माया हुआ है। राज्य सरकार ने 931 गांवों को सूखाप्रभावित घोषित किया है। उनमें से सर्वाधिक गांव विदर्भ व मराठवाड़ा के है। विदर्भ क्षेत्र मुख्य तौर पर दो भागों में बंटा हुआ है। पूर्वोत्तर विदर्भ और पश्चिमी विदर्भ। पश्चिमी विदर्भ के ज्यादातर गांव सूखा क्षेत्र में शामिल है। यवतमाल जिला किसान आत्महत्या के मामले में चर्चा में रहता है। वर्धा , अमरावती में भी स्थिति ठीक नहीं है। अकोला , बुलढाणा के गांवों के संकट का मामला अक्टूबर 2018 में गूंजा था। लिहाजा इन क्षेत्रों में बड़े किसान आंदोलन भी हुए। राजनीतिक दलों को लगता है कि विदर्भ में सूखे का मुद्दा राज्य की सत्ता के लिए प्रभावी रहेगा।
राज्य में सूखे की स्थिति नई नहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा पूरी तरह से नदारद रहा। अब इसी मुद्दे को विधानसभा चुनाव का हथियार बनाने की कोशिश हो रही है। सरकार ने सूखे की उपाययोजनाओं के लिए कुछ निर्णय लेने का प्लान बनाया है। इसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव आयोग से चुनाव आचार संहिता शिथिल करने का निवेदन किया है। साथ ही पालकमंत्रियों को जिला स्तर पर सूखे की स्थिति पर समीक्षा करने को कहा है। राज्य में 12,116 सूखाग्रस्त गांवों में 4,774 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 1264 चारा छावनियां बनायी जाएगी। साफ है सरकार सूखे पर राहत के साथ चुनाव तैयारी भी करने लगी है। उधर कांग्रेस ने सरकार के विरोध में आंदोलन की तैयारी की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने 10 मई को मुंबई में बैठक बुलायी है। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील, हर्षवर्धन पाटील, बालासाहब थोरात समेत सभी प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन विदर्भ में कृषि संकट पर अधिक केंद्रित रहनेवाला है। लिहाजा माणिकराव ठाकरे, विजय वडेट्टीवार समेत अन्य नेताओं के साथ प्रदेश अध्यक्ष की अलग से बैठक होनेवाली है। मंत्रियों के दौरे के बाद कांग्रेस का दल गांव का दौरा करेगा।
राज्य में सूखे की स्थिति नई नहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा पूरी तरह से नदारद रहा। अब इसी मुद्दे को विधानसभा चुनाव का हथियार बनाने की कोशिश हो रही है। सरकार ने सूखे की उपाययोजनाओं के लिए कुछ निर्णय लेने का प्लान बनाया है। इसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव आयोग से चुनाव आचार संहिता शिथिल करने का निवेदन किया है। साथ ही पालकमंत्रियों को जिला स्तर पर सूखे की स्थिति पर समीक्षा करने को कहा है। राज्य में 12,116 सूखाग्रस्त गांवों में 4,774 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 1264 चारा छावनियां बनायी जाएगी। साफ है सरकार सूखे पर राहत के साथ चुनाव तैयारी भी करने लगी है। उधर कांग्रेस ने सरकार के विरोध में आंदोलन की तैयारी की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने 10 मई को मुंबई में बैठक बुलायी है। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील, हर्षवर्धन पाटील, बालासाहब थोरात समेत सभी प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन विदर्भ में कृषि संकट पर अधिक केंद्रित रहनेवाला है। लिहाजा माणिकराव ठाकरे, विजय वडेट्टीवार समेत अन्य नेताओं के साथ प्रदेश अध्यक्ष की अलग से बैठक होनेवाली है। मंत्रियों के दौरे के बाद कांग्रेस का दल गांव का दौरा करेगा।