शहर में बिजली की खपत बढ़ी, लेकिन नहीं बढ़े सब स्टेशन

इसलिए बत्ती गुल शहर में बिजली की खपत बढ़ी, लेकिन नहीं बढ़े सब स्टेशन

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-15 10:21 GMT
शहर में बिजली की खपत बढ़ी, लेकिन नहीं बढ़े सब स्टेशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले कुछ वर्षों में शहर में बिजली की खपत जिस तेजी से बढ़ी, उसकी तुलना में महापारेषण व महावितरण के सब स्टेशनों व ट्रांसफार्मरों की संख्या नहीं बढ़ी है। शहर में बिजली की खपत 500 मेगावॉट से बढ़कर 600  मेगावॉट से अधिक हो गई। लोड बढ़ने से बार-बार ट्रीपिंग होकर बिजली गुल हो रही है। नागपुर शहर की बात करें तो महावितरण के 5 डिवीजन हैं। महल, गांधीबाग, कांग्रेस नगर, सिविल लाइन्स व बुटीबोरी एमआईडीसी। इन 5 डिवीजन में साढ़े नौ लाख से ज्यादा उपभोक्ता हैं। उपभोक्ता बढ़ने से बिजली की खपत बढ़ती है और इसे मेंटेन करने के लिए महापारेषण व महावितरण के ढांचे में सुधार जरूरी होता है। पिछले दो साल के कामों पर गौर करें तो महापारेषण व महावितरण के बुनियादी ढांचे में सुधार व अपग्रेडेशन का काम बहुत कम हुआ। कोरोना को इसकी मुख्य वजह बताया जा रहा है। कोरोना के कारण हर मद का 20 फीसदी तक निधि स्वास्थ्य पर खर्च किया गया। स्टेट बजट से मिलने वाली निधि हो या डीपीसी से मिलने वाली निधि, इनका कुछ हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च किया गया। 

ट्रांसफार्मर वर्षों पुराने हैं : शहर में जो सब स्टेशन हैं, वह वर्षों पुराने हैं। यहां जो ट्रांसफार्मर है, उसकी क्षमता नहीं बढ़ाई गई। ट्रांसफार्मर 5 एमवीए, 10 एमवीए व 20 एमवीए के होते हैं। वर्तमान लोड को देखते हुए प्रत्येक 5 एमवीए ट्रांसफार्मर को 10 व 20 एमवीए में परिवर्तित करना जरूरी है। एरिया व उपभोक्ता बढ़ने के साथ ही महापारेषण व महावितरण दोनों के सब स्टेशन बढ़ना जरूरी है। लोड बढ़ने से वर्तमान ट्रांसफार्मर लोड खींचने में परेशानी खड़ी कर रहे हैं। सब स्टेशन से बिजली का वितरण एरिया में होता है। 

चेंज आेवर की गुंजाइश नहीं के बराबर : फिलहाल, जबरदस्त गर्मी पड़ रही है। एक एरिया की लाइन जाने पर दूसरे एरिया से बिजली लेकर अंधेरा दूर किया जाता है। इसे चेंज आेवर या लोड शिफ्ट करना कहा जाता है। शहर के हर हिस्से में बिजली की डिमांड बढ़ने से एक जगह का अंधेरा दूर करने के लिए दूसरे एरिया से बिजली लेने की गुजांइश नहीं रही। लोड शिफ्ट करने का प्रयास करने पर अचानक लोड बढ़कर ट्रांसफार्मर में खराबी आने, एलटी जाने या ट्रिपिंग होने का खतरा रहता है। शहर में लगातार तीन दिन जो बिजली गुल हुई, उस दौरान लोड शिफ्ट करने के प्रयास हुए आैर इस चक्कर में ट्रिपिंग हुई। 

जाटतरोड़ी में सब स्टेशन का प्रपोजल : जाटतरोड़ी में 220 केवी का सब स्टेशन का वर्षों पुराना प्रपोजल है। यह अब तक तैयार नहीं हाे सका है। निधि की कमी के कारण यहां काम शुरू नहीं हो सका है। महावितरण भी स्वीकार करता है कि हाल ही के वर्षों में उपभोक्ता बढ़ने के साथ ही बिजली की खपत काफी बढ़ गई, लेकिन उस हिसाब से अपग्रेडेशन नहीं हो सका। दो साल कोरोना में चले गए। निधि स्वास्थ्य मदों पर डायवर्ट हुई। अचानक लोड बढ़ने से संसाधन अतिरिक्त लोड खींचने में दिक्कत पैदा कर रहे हैं। 

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