परचा तो बहाना है, असल उद््देश्य आपका हाथ भगवान को पकड़ाना है
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज की श्रीमद््भागवत कथा का तीसरा दिन उनके बहुचर्चित 'दिव्य परचा तो बहाना है, असल उद््देश्य आपका हाथ भगवान को पकड़ाना है
डिजिटल डेस्क जबलपुर। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज की श्रीमद््भागवत कथा का तीसरा दिन उनके बहुचर्चित 'दिव्य दरबारÓ के नाम रहा। दरबार लगाने के ठीक पहले महाराजश्री ने कहा कि इस परचे का आधार श्री बागेश्वर धाम सरकार की महा कृपा है। उन्होंने दो टूक कहा कि यह परचा तो बहाना है.. हमारा असल उद््देश्य तो सबको सांसारिक पीड़ा से निजात दिला कर उनका हाथ श्री बागेश्वर धाम सरकार को पकड़ाना है।
अमेरिका से आए भाई-बहन-
दिव्य दरबार में सोमवार को अमेरिका के कैलिफोर्निया से भी भक्त आए। अमेरिका में रह रहा उनका भक्त दिल्ली में रहने वाली बहन के साथ दरबार में पहुँचा। भक्त ने कहा कि भीड़ देख कर मैं लौटने लगा कि आपने मंच पर बुला लिया। अचानक बुलावे और मन के प्रश्न जान लेने पर वो आवाक रह गया। दरबार में यूपी-बिहार-उड़ीसा के लोग भी मंच पर बुलाए गए। वहीं शहर के सुहागी-रांझी, पनागर-सुहागी सहित शहर के भी अनेक लोग मंच से बुलाए गए।
दिव्यता का दरबार-
- मंच से बुलाए जाने पर लोग आवाक रह गए। पंडाल के बाहर खड़े लोगों को भी महाराजश्री ने नाम लेकर बुलाया। इस दौरान पारिवारिक, दैहिक, दैविक व भौतिक समस्याओं से परेशान लोग भी मंच पर बुलवाए गए।
- किसी को मंत्र दिया गया तो किसी को जप करने की सलाह दी गई। किसी को बागेश्वर दर्शन तो किसी को समाधान का कवच देने की बात उन्होंने कही।
- आभाषी माध्यम से जुड़े विश्व भर के लाखों भक्तों पर भी महाराज श्री ने कृपादृष्टि बरसाई। सभी से मु_ी बंद कर मंत्र उच्चारित कराया गया।
'पागलों" कब तक हँसी उड़वाओगे -
दरबार से पहले महाराजश्री ने पंडाल में बैठे लाखों भक्तों से कहा कि अंधविश्वास के नाम पर आप कब तक शोषित-प्रताडि़त होते हुए अपनी हँसी उड़वाते रहोगे। महाराजश्री ने कहा कि मेरे पागलों, अर्जी तो स्वीकार होनी ही है क्योंकि आपका विश्वास बागेश्वर धाम सरकार पर है। उन्होंने कहा कि आज के बाद या तो हनुमानजी महाराज को मानना छोड़ दो या फिर सब कुछ हनुमानजी महाराज पर छोड़ दो।
ऐसा भी बोले-
-न हमें चमत्कार दिखाना, न प्रदर्शन करना, हमें बस समस्या का समाधान करना है।
-बागेश्वर धाम में कोई फीस शुल्क नहीं देना है, हमारे हनुमान जी बिकाऊ नहीं हैं।
- हमें दान की नहीं, हमें हनुमान की आवश्यकता है।
-हनुमानजी की कृपा बिकती नहीं, बरसती है।
-भगवान और धर्म के नाम पर हम धंधा नहीं चलने देंगे।
-भक्त बन के आओगे तो हम मिलेंगे, प्रोटोकॉल सपोर्ट से आओगे तो नहीं मिलेंगे।
-नफरत नहीं हम प्रेमवादी हैं, गर्व से कहो हम हिंदुत्ववादी हैं।
-बात एक समस्या की नहीं जीवन में समस्या न हो, इसकी है।