Panna News: द्वारी का पशु चिकित्सालय रहता है बंद, बेजुबान पशुओं की हो रही है मौतें
- द्वारी का पशु चिकित्सालय रहता है बंद
- बेजुबान पशुओं की हो रही है मौतें
- निजी पशु चिकित्सक से मवेशियों का इलाज कराने के लिए मजबूर हैं पशुपालक
Panna News: जिले में पशु चिकित्सा विभाग की लचर कार्यप्रणाली के चलते हालत खराब है। जिले में ऐसे में कई पशु चिकित्सालय हैं जो बंद पडे हुए हैं और इन क्षेत्रों के पशुपालक निजी पशु चिकित्सक से इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं साथ ही वह लुट रहे हैं। ऐसा ही एक मामला पन्ना-अमानगंज मार्ग के बीच में पडने वाले ग्राम द्वारी का सामने आया है जहां का पशु चिकित्सालय खण्डहर में तब्दील होने की कगार पर है। यह अक्सर बंद रहता है और यहां पर आने वाले पशुपालकों को हमेशा यहां ताला लटका हुआ मिलता है। ग्रामवासियों का आरोप है कि इस चिकित्सालय के सामने दीवाल पर नाम लिख देने से ही डॉक्टर की ड्यूटी पूरी हो रही है। यहां के पशु चिकित्सालय में गोबर के कण्डे और भूसा भरा दिखलाई दे रहा है। यह भी जानकारी सामने निकलकर आई है कि द्वारी सहित चार-पांच गांव जैसे तारा, झरकुआ, कुदरा, पगरा आदि पशु चिकित्सालय की जबावदारी अमानगंज के डॉक्टर के ऊपर है और वह यहां पर जाते ही नहीं हैं।
शासन की ओर से पशु चिकित्सालय में जो दवा भी पशुओं के लिए आती है उसका भी कुछ अता-पता नहीं हैं। ऐसे कई पशुपालक हैं जिनके पशुओं की बीमारी के चलते मौतें हो गईं लेकिन उनका उपचार नहीं हो पाया। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रीतम पाल की बीस नग बकरी, दयाराम दहायत की नौं नग, बिहारी आदिवासी की ४४ नग, विसुआ आदिवासी की १५ नग, सुदामा दहायत १० नग, प्रहलादी पाल ०४ नग, निज्जू खान १३ नग, रतनपुरा के टेढी मझली की एक नग गाय की कुछ महीनों में इलाज के अभाव में मौत हो गई। इस क्षेत्र जो पशु पालकर अपनी जीविकोपार्जन करते हैं उनके सामने एक बहुत बडा आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। अकेले द्वारी ग्राम की स्थिति खराब नहीं हैं। जिले में और भी अस्पताल हैं जो अव्यवस्थाओं व अनियमितताओं के कारण बंद पडे हुए हैं। एक तरफ सरकार लोगों को पशुओं को पालने के लिए बैंकों के माध्यम से कर्ज उपलब्ध करा रही है वहीं दूसरी तरफ जिले में उनके पशुओं को उपचार की कोई व्यवस्था नही हैं। इन पशुपालकों ने जिला प्रशासन व पशु चिकित्सालय विभाग से जिले के सभी पशु चिकित्सालयों में नियमित रूप से पशु चिकित्सक पहुंचे और यहां पर आने वाले पशुओं का इलाज करें ऐसी मांग की है।
इनका कहना है
जिले में १२६ पदों के विरूद्ध हमारे पास ३०-३२ ही अधिकारी हैं, कर्मचारियों की काफी कमीं होने के कारण यह परेशानी उत्पन्न हो रही है। द्वारी के अस्पताल के लिए अमानगंज के डॉक्टर की ड्यूटी है जो सप्ताह में एक दिन जाकर वहां पर पशुओं का इलाज करते हैं।
डॉ. डी.पी. तिवारी, उपसंचालक पशुपालन विभाग