Nagpur News: मध्यप्रदेश के शिल्पकारों ने लिखी विदर्भ में भाजपा की जीत की इबारत, चार महीने तक डाले रखा डेरा

  • महायुती को मिली विशाल जीत के पीछे मध्यप्रदेश के कद्दावर नेताओं का भी योगदान
  • मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, विश्वास सारंग और पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की टीम
  • मैदानी स्तर पर रणनीति बनाकर उसका क्रियान्वयन किया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-24 10:36 GMT

Nagpur News : मणिकांत सोनी| महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नीत महायुती को मिली विशाल जीत के पीछे मध्यप्रदेश के कद्दावर नेताओं का भी योगदान रहा। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, विश्वास सारंग और पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विदर्भ में करीब चार महीने तक डेरा डाले रखा और मैदानी स्तर पर रणनीति बनाने से लेकर उनका क्रियान्वयन तक किया। मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी विदर्भ में चुनावी सभाएं लीं।

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के चलते राज्य विधानसभा चुनाव के शुरुवाती दौर में ही पार्टी ने मध्यप्रदेश के बड़े नेताओं को विदर्भ में सक्रिय कर दिया था। कैलाश विजयवर्गीय उपराजधानी नागपुर में करीब तीन महीने रहे। वहीं मप्र के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भंडारा में चार महीने तक मुकाम किया। प्रहलाद पटेल को अमरावती और विश्वास सारंग को अकोला की जिम्मेदारी दी गई थी। इस दौरान वहां से आए एक दर्जन विधायक और 500 पार्टी कार्यकर्ता इन नेताओं के साथ जुटे रहे।

भाजपा की जीत के बाद विजयर्गीय ने दोहराया कि लोकसभा चुनाव में जो गलत नैरेटिव तैयार किया गया था, उसको विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने अपना दावा दोहराते हुए कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि विदर्भ में 45 से अधिक सीटों पर भाजपा जीतेगी और आज परिणाम पार्टी की बेहतर रणनीति और कार्यकर्ताओं की मेहनत बयां कर रहे हैं। सावनेर, नागपुर मध्य और नागपुर दक्षिण सहित उमरेड सीट पर भाजपा की रणनीतिक जीत हुई है। उन्होंने नागपुर पश्चिम सीट पर मिली हार को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री किसे बनाया जाना चाहिए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यह निर्णय पार्टी नेतृत्व तय करेगा। वैसे, भाजपा कार्यकर्ता चाहते हैं कि अब देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।

पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे संगठन और कुशल नेतृत्व की जीत बताया है। चार महीनों में गोंदिया और भंडारा जिलों के गांव गांव जाकर उन्होंने कार्यकताओं और अलग-अलग संगठनों के साथ 200 से अधिक बैठक कीं और करीब 50 आमसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद दलित बंधु यह बात समझ गए थे कि कांग्रेस ने संविधान बदलने का जो आरोप भाजपा पर लगाया था, वह झूठा था। यह विकास और विश्वास की जीत है।

विश्वास सारंग ने इसे डबल इंजन सरकार की दिल्ली से लेकर मुंबई तक की जीत बताया। उन्हाेंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी यहां के लोगों ने मोदी जी पर भरोसा जताया था, अब विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने यह भरोसा कायम रखा। अकोला, वाशिम और बुलढाना जिलों की 15 सीटों की जिम्मेदारी देखने वाले सारंग ने स्थानीय कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत और लगन के साथ प्रदेश और केंद्र सरकार की नीतियों को इस जीत का श्रेय दिया। 

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