Panna News: सकरिया-डिघौरा की निर्माणाधीन सडक के भविष्य पर सवाल, काम पूरा होने से पहले फूट रहीं पुलियां
- सकरिया-डिघौरा की निर्माणाधीन सडक के भविष्य पर सवाल
- काम पूरा होने से पहले फूट रहीं पुलियां
- रोड शोल्डर निर्माण के लिए काटी जा रही सडक, जिम्मेदार मौन
- 6838.20 लाख की लागत से हो रहा सडक का निर्माण
Panna News: सकरिया-डिघौरा मार्ग का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया जा रहा है। करीब 68 करोड की लागत से बनाई जा रही इस सडक का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इसी बीच सडक निर्माण में व्यापक स्तर पर अनियमित्ताएं एवं मनमानी की बात सामने आ रही है। बताया जाता है कि सीआरआईएफ की मद से बनाई जा रही सडक का ठेका मेसर्स रविशंकर जैसवाल को दिया गया था। ठेकेदार फर्म द्वारा मनमाने ढंग से कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते सडक के भविष्य पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। बताया जाता है कि ठेकेदार द्वारा इन दिनों सकरिया-ककरहटी के बीच सडक के शोल्डर बनाने का काम किया जा रहा है। यहां अलग से शोल्डर हेतु मटेरियल लाने की बजाए सडक किनारे से ही डब्लूएमएम एवं जीएसबी के शोल्डर को तोडकर हार्ड शोल्डर बनाए जा रहे हैं जो पूरी तरह नियम विरूद्ध हैं। जानकारों की मानें तो सडक पर डब्लूएमए और जीएसबी का भुगतान पहले ही फर्म को हो चुका है ऐसे में उसे तोडकर शोल्डर बनाना गलत है। इस तरह से सडक का साइड स्लोप समाप्त हो जायेगा। जो सडक के लिए अहम है। बावजूद इसके रोड शोल्डर बनाने के लिए ठेकेदार द्वारा इसी तरीके का उपयोग किया जा रहा है।
इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के तकनीकी अधिकारी भी खामोश हैं या यूं कहे की ठेकेदार को मूक सहमति दे चुके हैं। यही कारण है कि बेरोकटोक मनमाने ढंग से सडक शोल्डर का निर्माण हो रहा है। इतना ही नहीं तकनीकी जानकारों की मानें तो एनएच-39 को एनएच-943 से जोडने वाली इस महत्वपूर्ण सडक के डामरीकरण में कैम्बर एवं सुपर एलीवेशन नहीं बनाए गए। कैम्बर उस स्लोप को कहते हैं जो सडक के बीच बनाया जाता है ताकि सडक दोनों छोड से थोडा झुकी रहे ताकि बारिश का पानी सडक पर जमा न हो। कैम्बर के आभाव में सडक कुछ दिनों में ही नष्ट हो जायेगी। इस महत्वपूर्ण मामले में भी ठेकेदार ने गंभीरता नहीं दिखाई है। सडक के कुछ हिस्सों को छोड दें तो पूरी सडक में कैम्पर नजर नहीं आता। ऐसे में सडक के भविष्य पर सवाल उठना तय है। गौरतलब है कि 6838.20 लाख रूपये की राशि से स्वीकृत सडक निर्माण में इतनी लापरवाही क्यों की जा रही है। ठेकेदार फर्म को अभी तक 2606.32 लाख रूपये का भुगतान भी किया जा चुका है। ऐसे में स्पष्ट है कि पूरे मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। स्थानीय लोगों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कि हैए ताकि इस महत्वपूर्ण सडक को दुर्गति से बचाया जा सके।
अभी से फटने लगी पुलिया
करोडों की लागत से हो रहे निर्माण कार्य में ठेकेदार की मनमानी इस कदर हावी है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। सडक़ निर्माण में शुरू से ही पुलियों में घटिया सामग्री के उपयोग की बात सामने आती रही है। बताया जाता है कि कुछ पुलियांं को दुरूस्त भी किया गया लेकिन अभी भी कई पुलियां हैं। इनके हियूम पाइप पुराने एवं फटे लगाए गए हैं। चौपडा नर्सरी के पास 2-रो कलवर्ट के पाइप में दरार साफ देखी जा सकती है। जानकार बताते हैं कि ठेकेदार द्वारा नाली और पुलिया निर्माण में रेत की जगह डस्ट का अत्याधिक उपयोग किया जा रहा है। जिसके चलते ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है। हालाकि पुलिया के पाइप घटिया क्वालिटी के होने के कारण भी अभी से फूट रहे हैं लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को इससे शायद कोई सरोकार नहीं है।
इनका कहना है
इस संबंध की मुझे भी शिकायत मिली थी मैं परसों गया था। वहां पर दो मशीन चल रही थी मैंने उनको चलने से मना किया और अवकाश हो जाने के कारण मैं पत्र नहीं लिख पाया हूं। सोमवार को पत्र लिखूंगा और जो ठेकेदार के सुपरवाइजर द्वारा नीचे से खोदकर मिट्टी डाल दी गई है ऐसा नहीं होगा। उनको दोबारा सही कार्य करना पडेगा। यदि किसी भी प्रकार की कोई अनियमिताएं होती हैं तो जब तक ठीक नहीं होती है तब तक भुगतान नहीं किया जाएगा।
जे.पी. सोनकर, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग पन्ना