ड्राप आउट फ्यूज से बाजार में हाहाकार, व्यापार प्रभावित, आम लोग भी हुए परेशान
कर्मचारियों की हड़ताल से बेवस रहे विभागीय अधिकारी ड्राप आउट फ्यूज से बाजार में हाहाकार, व्यापार प्रभावित, आम लोग भी हुए परेशान
डिजिटल डेस्क,कटनी। शहर में पांच घंटें तक बाजार में बिजली व्यवस्था ठप रही। आंधी न तूफान इसके बावजूद हजारों उपभोक्ता पावर कट की समस्या से जूझते रहे। दरअसल समस्या तो इतनी बड़ी नहीं रही, लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली विभाग के अधिकारी बेवस रहे। शाम छह बजे के बाद वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में जब अन्य जगहों पर काम करने वाला अमला मैदान में उतरा। जिसके बाद बिजली चालू होने से लोगों ने राहत की सांस ली। वर्तमान समय में संविलियन, नियमितीकरण को लेकर आउट सोर्स, मीटर रीडर और संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। जिसके चलते सुधार कार्य करने के लिए विभाग के पास कर्मचारी नहीं हैं। वर्तमान समय में शहर बिजली विभाग में 280 कर्मचारी हैं। जिसमें से 35 कर्मचारी ही ऑन डयूटी है। जिससे व्यवस्था लडख़ड़ा गई है।
ट्रांसफार्मरों से उड़ा था फ्यूज, डीओ की रट एक-एक करके एक दर्जन से अधिक ट्रांसफार्मरों का फ्यूज उड़ गया। अफसरों के पास बस इतना जवाब रहा कि डीओ उड़ गया है। डीओ को खोजने में पांच घंटें से अधिक का समय लग गया। जिसके चलते गोलबाजार, झंडा बाजार, गर्ग चौराहा सहित अन्य जगहों में दिन में ही लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। इससे सबसे अधिक प्रभावित दुकानदार ही हुए है। जिनका व्यवसाय पूरी तरह से बिजली पर आश्रित रहा। वे दुकान के बाहर ही खड़े होकर बिजली आने का इंतजार करते रहे। गोलबाजार स्थित कपड़ा व्यवसायी अमित पंजवानी ने बताया कि बिजली गुल होने से ग्राहकी नहीं हुई। इसी तरह की समस्या विकास गुरुवानी ने भी बताई।
शिकायत कक्ष में लगा ताला
वर्तमान समय में लोग शिकायत भी दर्ज नहीं करा पा रहे हैं। शिकायत कक्ष के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए हैं। जिसके चलते यहां पर ताला ही लटका रहता है। यह स्थिति शहर के तीनों विद्युत वितरण केन्द्र में हैं। सामान्य तौर पर एक दिन में डेढ़ सौ लोग बिजली समस्या को लेकर यहां पर फोन के माध्यम से या फिर पहुंचकर अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं। इस समय वहां से भी उपभोक्ताओं को निराश होकर लौटना पड़ता है। यह समस्या शहर के 84 हजार उपभोक्ताओं के साथ है।
चुनौती से निपटने में लगा समय
चारों तरफ बिजली की समस्या हावी रही। इसके बावजूद नए एसई और शहर के डीई को इस समस्या से निपटने में पांच घंटें से अधिक का समय लग गया। जिसके बाद लोगों का कहना रहा कि जब पहले से ही कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इसके बावजूद अफसरों ने किसी तरह की तैयारी नहीं की थी। जिसका परिणाम रहा कि जिस समस्या का समाधान आधे घंटें से लेकर एक घंटें में हो सकता था। उस समस्या का समाधान अधिकारी पांच घंटें में ही खोज सके। शहर के कार्यपालन अभियंता बीके परते ने बताया कि हड़ताल में चले जाने से इस तरह की समस्या निर्मित हुई थी।