कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के नाम होगा 5 लाख का फिक्स डिपॉजिट
कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के नाम होगा 5 लाख का फिक्स डिपॉजिट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना महामारी के कारण सिर से माता-पिता का साया उठने से अनाथ हुए बच्चों को आधार देने का फैसला प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार ने लिया है। सरकार अनाथ बच्चों के बैंक खाते में 5 लाख रुपए की एकमुश्त राशि फिक्स्ड डिपॉजिट की जाएगी। इसके बादबच्चों को 21 साल आयु पूरा होने पर ब्याज के साथ यह राशि मिल सकेगी। इसके साथ ही बच्चों के सक्षम होने तक उनके देखभाल का खर्च भी सरकार उठाएगी। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल ने अनाथ बच्चों के लिए नई योजना को मंजूरी दी। इस योजना में शुन्य से 18 साल आयु वर्ग के अनाथ बच्चों का समावेश होगा। कोरोना के कारण माता-पिता दोनों की मृत्यु होने से अनाथ बच्चों को आर्थिक मदद के लिए यह योजना होगी। इसके पहले केंद्र सरकार पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेनयोजना का एलान किया है।अब राज्य सरकार ने भी इस तरह की योजना लागू करने का फैसला किया है।
इन बच्चों को मिल सकेगा लाभ
योजना के तहत 1 मार्च 2020 के दिन व उसके बाद कोरोना महामारी के कारण दोनों अभिभावक (माता-पिता) की मौत होने, अथवा एक अभिभावक की मौत कोरोना सेहोने व दूसरे अभिभावक की अन्य कारणों से मौत होने, एक अभिभावक की (1 मार्च 2020) पहले मौत होने और दूसरे अभिभावक की बाद में कोरोना से मौत होने पर बच्चों को लाभ मिल सकेगा।
रिश्तेदारों को देखभाल के लिए मिलेगा अनुदान
योजना के तहत बच्चों के बालगृह में दाखिल होने अथवा संबंधित बच्चों के रिश्तेदारों द्वारा देखरेख करने पर पांच लाख रुपए बैंक में जमा कराया जाएगा। पांच लाख रुपए की यह रकम संबंधित बच्चे और जिला महिला व बाल विकास अधिकारी के संयुक्त बैंक खाते में जमा कराई जाएगी। वहीं बच्चों की देखभाल करने वाले रिश्तेदारों को महिला व बाल विकास विभाग की बच्चों की देखभाल योजना के तहत 2 हजार 500 रुपए अनुदान दिया जाएगा।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टॉस्क फोर्स
राज्य में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है।टास्क फोर्स की कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों की जानकारी का संकलन करने, बच्चों को सभी तरह की सुरक्षा उपलब्ध कराने और बच्चों को बाल कामगार, अनैतिक मानव परिवहन, मानव तस्करी का शिकार होने से रोकने, बच्चों को आर्थिक और संपत्ति के अधिकार बरकरार रखने के बारे में सतर्क रहने, आवश्यकता के अनुसार बाल देखभाल योजना का लाभ दिलाने अथवा बाल गृह में दाखिल करने की जिम्मेदारी होगी। योजना का लाभ लेने वाले इच्छुक और कोरोना के कारण अनाथ बच्चों का दस्तावेज टॉस्क फोर्स के समक्ष पेश कर लाभ दिलाने की जिम्मेदारी जिला महिला व बाल विकास अधिकारी की होगी। इस योजना के नियम और शर्त को लेकर शासनादेश जारी किए जाएंगे।
एक अभिभावक को गंवाने वाले 3 हजार 333 बच्चे
प्रदेश की महिला व बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर ने बताया कि राज्य में कोरोना काल में एक अभिभावक गवाने वाले 3 हजार 333 बच्चे हैं। जबकि माता-पिता दोनों अभिभावकों को खोने वाले बच्चों की संख्या 162 है। फिलहाल 12 अनाथ बच्चे बालगृह में हैं। बाकी बच्चों की देखभाल रिश्तेदार कर रहे हैं। लेकिन ऐसे बच्चों पर भी सरकार की निगरानी है। क्योंकि कई बार बच्चों की देखरेख में अनदेखी होती है। ठाकुर ने कहा कि अनाथ बच्चों के नाम पर बैंक में 5 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिटकरने के लिए विधानमंडल के मानसून सत्र में पूरक मांगों के जरिए निधि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके बाद जुलाई में महीने में बच्चों के बैंक खाते में राशि जमा कराई जाएगी। एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा कि अनाथ बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी के बारे में स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से घोषणा की जाएगी।