भाजपा में सामने नहीं आ रहे नए दावेदार, कांग्रेस में संगठन समन्वय का इंतजार
भाजपा में सामने नहीं आ रहे नए दावेदार, कांग्रेस में संगठन समन्वय का इंतजार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा चुनाव को लेकर सरकारी स्तर पर हलचल शुरु हो गई है। मतदान पंजीयन अभियान को गति दी जा रही है। राजनीतिक दलों में भी प्रदेश स्तर पर बैठकाें का दौर शुरु हुआ है। लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई विशेष हलचल नहीं दिख रही है। इच्छुक उम्मीदवारों ने एक तरक से अपनी रणनीति को लेकर मुट्ठी बंद कर रखी है। लिहाजा कार्यकर्ताओं में भी अधिक उत्साह नहीं दिख रहा है। शहर में सभी 6 विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक हैं। कभी सबसे अधिक सीटें जीतते रहनेवाली कांग्रेस में संगठनात्मक स्तर पर ही अनिश्चितता का माहौल बना है। राकांपा व शिवसेना में तय नहीं है कि कौन सी सीट उनके हिस्से में आएगी। बसपा व वंचित बहुजन आघाड़ी में भी उम्मीदवार को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना है। माना जा रहा है कि सितंबर में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद ही कुछ स्थिति साफ होगी। यह जरूर है कि सभी प्रमुख दलों के शहर अध्यक्ष विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
भाजपा में सीएम फैक्टर
भाजपा में कहा जा रहा है कि सीएम फैक्टर अधिक प्रभावी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खास समर्थकों में शहर में 3 स 4 नेताओं ने पहचान बनायी है। माना जा रहा है कि उन नेताओं के कहने पर विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट फाइनल होगी। हालांकि लंबे समय से शहर व राज्य में नितीन गडकरी की भूमिका भाजपा के उम्मीदवार तय करने में प्रमुख रही है। ऐसे में अंदरुनी तौर पर पावर की राजनीति पर सबकी नजर है। 6 विधायकों में यह मानकर चला जा रहा है कि पूर्व नागपुर में भाजपा विधायक कृष्णा खोपड़े का उम्मीदवार बनना तय है। हालांकि भाजपा में ही बाल्या बोरकर, चेतना टांक के अलावा कुछ ऐसे नाम चर्चा में ला दिए जाते हैं जो खुलकर कभी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा भी नहीं जता पाए हैं। परफार्मंस के आधार पर मध्य से विकास कुंभारे, उत्तर से मिलिंद माने, पश्चिम से सुुधाकर देशमुख व दक्षिण से सुधाकर कोहले की टिकट पर संकट बताया जाता है। लेकिन इनमें से किसी भी विधायक ने दावा नहीं छोड़ा। उत्तर में मधुसूदन गवई, महेंद्र धनविजय, संदीप जाधव,रमेश वानखेडे से लेकर कई नाम भाजपा उम्मीदवार के तौर पर सामने आ रहे हैं। 2014 के चुनाव में इस सीट के लिए भाजपा में 56 इच्छुक थे। पश्चिम में भाषा ,समाज के आधार पर नए बदलाव का दावा किया जा रहा है। दयाशंकर तिवारी, रमेश चोपड़े से लेकर प्रगति पाटील तक का नाम इस क्षेत्र में भावी भाजपा उम्मीदवार के तौर पर गिना दिया जाता है। मध्य में शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके, गिरीश व्यास, जयप्रकाश गुप्ता, दीपराज पार्डीकर से लेकर कई नाम चर्चा में है। दक्षिण में मोहन मते, रवींद्र भोयर से लेकर देवेंद्र दस्तुरे तक का नाम भाजपा के इच्छुक उम्मीदवारों में हैं।
कांग्रेस अनिश्चितता
कांग्रेस में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। मंत्री रहे अनीस अहमद , नितीन राऊत का दावा कायम है। सतीश चतुर्वेदी की अंदरुनी सक्रियता भी जल्द सामने दिख सकती है। शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे के बारे में भी तय है कि वे चुनाव मैदान में रहेंगे। पिछले चुनाव में दक्षिण पश्चिम में मुख्यमंत्री के मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार रहे प्रफुल गुडधे ने भी तैयारी शुरु कर दी है। पूर्व में उमाकांत अग्निहोत्री व अभिजीत वंजारी 5 वर्ष से राजनीतिक तौर पर सक्रिय है। दाेनों कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवार है। इसी क्षेत्र में तानाजी वनवे भी अचानक सक्रिय होने लगे हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे भी जनसंपर्क बनाए हुए है। दक्षिण में प्रमोद मानमोड, विशाल मुत्तेमवार, योगेश तिवारी, मनोज साबले कांग्रेस के इच्छुक उम्मीदवारों में शामिल है। मध्य में आसिफ कुरैशी , रमेश पुणेकर,नंदा पराते , रमण पैगवार के अलावा अन्य नाम गिनाए जा रहे हैं। महिला कांग्रेस की शहर अध्यक्ष रही नगरसेवक आभा पांडे का नाम कभी मध्य ताे कभी पूर्व के लिए सुना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में उन्होंने खुलकर भाजपा के लिए काम किया था। उत्तर में कांग्रेस से किशोर गजभिए ने दावेदारी छोड़ दी है। लेकिन नितीन राऊत के समर्थक रहे संदीप सहारे, मनोज सांगोले जैसे नगरसेवक नए उम्मीदवार को दावा कर रहे हैं।
शिवसेना व राकांपा
शिवसेना व राकांपा में मुंबई के निर्णय का इंतजार है। विधानसभा चुनाव लड़ चुके किशोर कुमेरिया व शेखर सावरबांधे ने दक्षिण नागपुर में जनसंपर्क बढ़ाया है। पूर्व में रविनीश पांडेय, यशवंत राहंगडाले जैसे शिवसेना पदाधिकारियों ने जनसमस्या को लेकर प्रदर्शन की आड़ में अपनी दावेदारी बढ़ायी है। जिला प्रमुख प्रकाश जाधव भी इसी क्षेत्र से शिवसेना की उम्मीदवारी चाहते हैं। शिवसेना में शामिल हुए पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत चतुर्वेदी का नाम भी दक्षिण में चर्चा हैं। राकांपा में पूर्व विधायक दीनानाथ पडोले दक्षिण की आस लगाए हैं। मध्य में शहर अध्यक्ष अनिल अहिरकर का दावा है। पूर्व में नगरसेवक दुनेश्वर पेठे प्रयासरत हैं। बसपा व वंचित बहुजन आघाड़ी को कुछ इच्छुकों ने वैकल्पिक तौर पर रखा है।