Mumbai News: महिला कैदियों और पुलिसकर्मियों के बच्चे बालवाड़ियों में एक साथ करते हैं पढ़ाई

  • अधिकारी भी कर रहे भरोसा बढ़ाने की कोशिश
  • वालंटियर्स करते हैं मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-17 15:42 GMT

Mumbai News : राज्य के पांच जेलों में बंद महिला कैदियों के बच्चे उसी जेल के कर्मचारियों के साथ एक ही आंगनवाड़ी (क्रेच) में साथ मिलकर पढ़ाई करते हैं। राज्य जेल विभाग की पहल पर आंगन एनजीओ फिलहाल नन्हें कदम नाम की इन बालवाड़ियों को चला रहा है। इन बालवाड़ियों में महिला कैदियों के करीब 50 जबकि जेल कर्मियों के 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। कर्मचारियों के मन में किसी तरह का संकोच न हो इसलिए जेल अधिकारी भी बालवाड़ियों के कार्यक्रमों में अपने बच्चों को भेज देते हैं। आंगन ट्रस्ट से जुड़ी डॉ स्मिता धर्ममेर ने कहा कि हमें खुशी है कि राज्य के जेल विभाग ने इसके लिए पहल की है। इस कदम से जेल के अंदर दिन गुजारने को मजबूर बच्चों को बाहर आकर दूसरों से मुलाकात करने का मौका मिलता है। साथ ही उन्हें कई नई चीजें सिखाई जातीं हैं। नियमों के मुताबिक महिला कैदियों के छह साल तक के बच्चे अगर उनके बाहर कहीं रहने की व्यवस्था नहीं है तो वे जेल में रह सकते हैं। इन बच्चों के लिए दिसंबर 2022 में पहली बालवाड़ी शुरू की गई थी। फिलहाल भायखला, ठाणे, येरवडा, नाशिक और नागपुर जेलों में पालनाघर चल रहे हैं। जल्द ही 12 जेलों में इसी तरह की बालवाड़ियां बनाई जाएंगी। कल्याण जेल में इस साल दिसंबर में ही बालवाड़ी शुरू हो सकती है। धीरे-धीरे राज्य के सभी जेलों में इस तरह की बालवाड़ियां बनाई जाएगी। बालवाड़ियां जेल परिसर में ही लेकिन जेलों से बाहर बनाई जातीं हैं।

अधिकारी भी कर रहे भरोसा बढ़ाने की कोशिश

ठाणे जेल में हाल ही में बालवाड़ी में बाल दिवस पर विशेष कार्यक्रम हुआ तो ठाणे सेंट्रल जेल की अधीक्षिका रानी भोसले ने अपनी तीन साल की बेटी को भी कार्यक्रम में भेजा। डॉ स्मिता ने कहा कि यह पहल बेहद सराहनीय है क्योंकि इससे महिला कैदियों का भरोसा बढ़ता है कि उनके बच्चे जहां जा रहे हैं वह जगह सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि शुरू में बालवाड़ियों में महिला कैदियों के बच्चे ही आते थे लेकिन कई जेल कर्मचारियों ने आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को भी यहां भेजना चाहते हैं। हमने इसका स्वागत किया क्योंकि इससे महिला कैदियों के बच्चों को बाहर के बच्चों के साथ खेलने और उनसे दोस्ती का मौका मिला। हम यहां आने वाले बच्चों को सिर्फ चीजें सिखाने पर ही नहीं उनके मानसिक विकास पर भी जोर देते हैं। रानी भोसले ने कहा कि यह जरूरी है कि महिला कैदियों के बच्चों को सामान्य माहौल मिले। इस तरह के कार्यक्रमों के दौरान बच्चों के चेहरे पर जो खुशी होती है वह देखते ही बनती है।

वालंटियर्स करते हैं मदद

जेल परिसर में बनी इन बालवाड़ियों में बच्चों की मदद के लिए कई एनजीओ और वालंटियर्स भी अपनी सेवाएं देते हैं। बच्चों के लिए पपेट शो, इंटरेक्टिव गेम्स और चित्र पहेली जैसे आयोजन करने वाले टार्गेट पब्लिकेशन के तुषार चौधरी ने कहा कि हम चुनौतियों का सामना कर रहे इन बच्चों की पूरी मदद करना चाहते हैं इसीलिए उनके लिए मुफ्त ड्राइंग बुक और कलर्स मुहैया कराया। हमारे साथ जुड़ी अनुभवी शिक्षिका और कंटेंट डेवलपर मनोरमा शेट्टी ने बच्चों के साथ अच्छा वक्त बिताया। हम सभी की जिम्मेदारी है कि बच्चों में किसी तरह की हीनभावना न आने दें और जितना हो सके उन्हें सामान्य महसूस कराएं।

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