भाजपा में शामिल हो सकते हैं मोहिते पाटील-विखेपाटील, आवठले का दावा- वंचित बहुजन आघाड़ी से हमें ही फायदा
भाजपा में शामिल हो सकते हैं मोहिते पाटील-विखेपाटील, आवठले का दावा- वंचित बहुजन आघाड़ी से हमें ही फायदा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानसभा में विपक्ष के नेता व वरिष्ठ कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल और पूर्व उपमुख्यमंत्री व राकांपा के वरिष्ठ नेता विजयसिंह मोहिते पाटिल लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं। दोनों नेताओं के बेटो ने हाल में ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। विखेपाटील के बेटे डा सुजय विखे पाटील अहमदनगर से भाजपा उम्मीदवार भी हैं। बुधवार को उनके नजदीकी सूत्रों ने बताया कि दोनों नेता आगामी दिनों में राज्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैलियों के दौरान भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि विखे पाटिल 12 अप्रैल को अहमदनगर में भाजपा में शामिल हो सकते हैं वहीं मोहिते पाटिल के 17 अप्रैल को सोलापुर जिले के अकलुज में भगवा दल में शामिल होने की संभावना है। विखे पाटिल के पुत्र सुजाय पिछले महीने भाजपा में शामिल हुए जब कांग्रेस के सहयोगी राकांपा ने उनके लिए अहमदनगर सीट छोड़ने से मना कर दिया। इसके बाद उन्हें भगवा दल से टिकट मिल गया। सोलापुर जिले की माढा सीट से राकांपा के निवर्तमान सांसद मोहिते पाटिल शरद पवार नीत पार्टी में दरकिनार किए जाने से कथित तौर पर नाराज हैं। पहले उन्हें माढा से टिकट नहीं दिया गया क्योंकि पवार ने खुद ही वहां से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। बहरहाल, पवार ने बाद में घोषणा की कि वह चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक नहीं हैं। विखे पाटील के भाजपा में शामिल होने की अटकले कई दिनों से चल रही है। हालांकि वे अब तक चुप्पी साधे हुए हैं।
उधर पुणे में केन्द्रीय सामाजिक न्यायमंत्री रामदास आठवले ने बुधवार को कहा कि वंचित बहुजन आघाड़ी बहुत छोटी सी पार्टी है, जिसका हमें ही फायदा होगा। इसलिए प्रकाश आंबेडकर हमारे साथ आएं।आठवले ने कहा कि महाराष्ट्र में तीसरी आघाड़ी कामयाब नहीं होती। मैं सभी आघाड़ियों में जाकर आया हूं। वंचित बहुजन आघाड़ी का महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई भी असर नहीं होगा। मतों का विभाजन होगा, जिसका फायदा हमें ही होगा। इसलिए आंबेडकर भाजपा को अंदर से मदद करने की बजाय सीधे मदद करें। वह भाजपा के साथ आएं। उन्हें मंत्रिपद मिल सकता है।
बारामती में होगा परिवर्तन
आठवले ने कहा कि बारामती में पिछली बार महादेव जानकर 30 हजार मतों से हार गए। अगर वह कमल के चिन्ह पर चुनाव में उतरते तो यकीनन जीत जाते। इस बार भाजपा की ओर से कांचन कुल चुनाव में उतरी हुई हैं। उनकी जीत निश्चित है। महाराष्ट्र में महायुति को 40 से अधिक सीट मिलने की उम्मीद जताई है।