एचएससी वोकेशनल कोर्स बंद करना चाहती है सरकार, उद्योगों को सस्ती बिजली देने लाईसेंस हासिल करेगा एमआईडीसी
एचएससी वोकेशनल कोर्स बंद करना चाहती है सरकार, उद्योगों को सस्ती बिजली देने लाईसेंस हासिल करेगा एमआईडीसी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार का एचएससी वोकेशनल कोर्स बंद करने का इरादा है। राज्य के कौशल्य विकास मंत्री नवाब मलिक ने विधान परिषद में इसके साफ संकेत दिए। मलिक ने कहा कि एचएससी वोकेशनल कोर्स का अब कोई फायदा नहीं होता है। इसलिए एचएससी वोकेशनल कोर्स बंद कर नया पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। इस पर फैसला लेने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। मलिक ने कहा कि एचएससी वोकेशनल कोर्स बंद करने के बाद शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की सेवाएं बरकरार रखी जाएंगी। प्रश्नकाल में सदन में भाजपा सदस्य अनिल सोले ने इस संबंध में सवाल पूछा था।
आईटीआई में ठेके पर काम करने वाले होंगे स्थाई
राज्य के आईटीआई में ठेके पर कार्यरत 309 कर्मचारियों को स्थायी नौकरी देने के लिए कौशल्य विकास विभाग की तरफ से राज्य मंत्रिमंडल में अगले 15 दिनों में प्रस्ताव रखा जाएगा। विधान परिषद में प्रदेश के कौशल्य विकास मंत्री नवाब मलिक ने यह आश्वासन दिया। मलिक ने बताया कि विभाग में नए 700 पदों पर भर्ती के लिए उच्च स्तरीय समिति ने मंजूरी दी है। प्रश्नकाल के दौरान सदन में शिवसेना सदस्य विलास पोतनीस और राकांपा सदस्य विक्रम काले ने ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी नौकरी देने को लेकर सवाल पूछा था।
कला-खेल शिक्षकों की भर्ती के लिए बनेगी नीति
प्रदेश में कला और खेल शिक्षकों की भर्ती के लिए व्यापक नीति बनाई जाएगी। विधान परिषद में प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री बच्चू कडू ने यह घोषणा की। कडू ने कहा कि राज्य में कला और खेल शिक्षकों की भर्ती शुरू है। राज्य में खेल शिक्षक के लिए 48 पदों के विज्ञापन प्रकाशित किए गए थे। इसमें से 15 शिक्षकों का चयन भी हुआ है। प्रश्नकाल के दौरान सदन में निर्दलीय सदस्य दत्तात्रय सावंत ने कला, खेल और कार्यानुभव शिक्षकों की भर्ती को लेकर सवाल पूछा था। सावंत ने कहा कि पदभर्ती शुरू होने का दावा किया जा रहा है लेकिन पदभर्ती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पवित्र पोर्टल पर कला और खेल के शिक्षकों की भर्ती का विकल्प नहीं है। इस पर कडू ने कहा कि पवित्र पोर्टल में संशोधन किया जाएगा।
उद्योगों को सस्ती बिजली देने बिजली वितरण, लाईसेंस हासिल करेगा एमआईडीसी
महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआईडीसी) बिजली वितरण का लाइसेंस लेगा। इससे निजी कंपनियों से बिजली खरीदकर महाराष्ट्र के उद्योगों को 30 से 40 प्रतिशत सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी। विधान परिषद में प्रदेश के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने यह जानकारी दी। देसाई ने कहा कि बिजली वितरण का लाइसेंस मिलने के बाद एमआईडीसी को केवल बिजली वितरण खर्च उठाना पड़ेगा। उद्योगमंत्री देसाई ने कहा कि राज्य में औद्योगिक बिजली दर के कारण उद्योग नहीं बढ़ पा रहे हैं। महाराष्ट्र की तुलना में गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बिजली की दर कम है। महाराष्ट्र में उद्योगों को 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट बिजली दी जाती है। जबकि पड़ोसी राज्यों में उद्योगों को 6 से 7 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। देसाई ने कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए दी जाने वाली सस्ती बिजली के कारण 10 हजार करोड़ रुपए का भार उद्योगों की बिजली पर पड़ता है। इस कारण उद्योगों को महंगी दर से बिजली देना पड़ता है।
शुक्रवार को सदन में राकांपा के सदस्य किरण पावसकर ने अल्पकालीन चर्चा के जरिए औद्योगिक क्षेत्र की बेरोजगारी का मुद्दा उठाया था। इसके जवाब में देसाई ने कहा कि औद्योगिक नीति को लेकर केंद्र सरकार के बार-बार नीति बदलने के कारण महाराष्ट्र में बड़े उद्योगों नहीं आ पा रहा हैं। इसलिए सरकार ने अब लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। कृषि आधारित और वस्त्रोद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा। देसाई ने कहा कि राज्य में बड़े उद्योगों को काफी सहूलियतें दी जाती हैं। लेकिन उससे रोजगार निर्माण कम होता है। बड़े उद्योगों के एक करोड़ रुपए के निवेश के बाद सिर्फ एक व्यक्ति को रोजगार मिलता है। लघु उद्योगों में एक लाख रुपए के निवेश पर एक रोजगार निर्माण होता है। जबकि सुक्ष्म उद्योग में सिर्फ 25 हजार रुपए के निवेश से एक रोजगार पैदा होता है। देश मं 40 प्रतिशत निर्यात लघु उद्योगों से होता है। इसके मद्देनजर सरकार ने लघु उद्योगों को ज्यादा प्रोत्साहन देने की नीति बनाई है। बड़े उद्योगों को दी जाने वाली सहूलियतों को कम कर लघु उद्योगों को ज्यादा सुविधाएं दी जाएंगी। देसाई ने कहा कि उद्योगों के ज्यादा निवेश के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की नीति लाई गई। लेकिन सेज नीति कारगर नहीं है। उद्योगों को दी गई सहूलियतों को रद्द कर दिया गया। इसका परिणाम उद्योगों के निवेश पर पड़ा है।
औरंगाबाद की ऑरिक सिटी देखकर होगा विदेश में होने का एहसास
इस बीच देसाई ने कहा कि विधान परिषद के सदस्यों को मेरे साथ डीएमआईसी के तहत औरंगाबाद में बने ऑरिक सिटी का दौरा करना चाहिए। ऑरिक सिटी में आने के बाद आपको क्षण भर पता नहीं लगेगा कि आप भारत में हैं या विदेश में हैं।
80 प्रतिशत रोजगार के लिए कानून मानसून सत्र में
देसाई ने कहा कि महाराष्ट्र में भूमिपुत्रों (स्थानीय लोगों) को 80 प्रतिशत रोजगार सुनिश्चित करने के लिए आगामी मानसून सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। इस कानून के जरिए ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों का पंजीयन हो सकेगा। देसाई ने कहा कि फिलहाल कंपनियां ठेके पर नियुक्त कर्मचारियों की जानकारी नहीं देती हैं। क्योंकि कंपनियां अधिकांश जगहों पर परप्रांतियों को नियुक्त करती हैं। लेकिन कानून बनने के बाद ठेके पर नियुक्त कर्मचारियों की जानकारी देना भी अनिवार्य होगा। देसाई ने कहा कि 80 प्रतिशत रोजगार सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 4 शासनादेश जारी किए हैं। लेकिन इसको 10 प्रतिशत भी लागू नहीं किया जा सका है। इसलिए सरकार ने कानून बनाने का फैसला किया है।
रोजगार के लिए योजना
देसाई ने कहा कि रोजगार पैदा करने के लिए राज्य सरकार ने स्वतंत्र योजना तैयार की है। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उद्यमियों को 10 प्रतिशत निवेश करना पड़ता है। 30 प्रतिशत राशि सरकार और 60 प्रतिशत राशि बैंकों के जरिए उपलब्ध कराई जाती है। अब इसमें संशोधन किया गया है। इसके तहत 60 प्रतिशत राशि के लिए उद्यमियों को बैंकों के पास नहीं जाना पड़ेगा। बल्कि राशि देने के लिए बैंकों को सरकार ही अपने पास बुलाएगी। बैंकों को सरकार की ओर से क्रेडिट गारंटी दी जाएगी।
मराठवाडा विश्वविद्यालय के तत्कालिन कुलपति
चोपडे के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाईः सामंत उच्च शिक्षामंत्री का एलान
औरंगाबाद के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. बी ए चोपड़े के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। बुधवार को सदन में प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने स्पष्ट संकेत दिए हैं। चोपडे पर विश्वविद्यालय की खरीद में अनियमितता और अपने बैंक खाते में 4 करोड़ रुपए जमा करने के आरोप है। सामंत ने कहा कि चोपडे पर लगे आरोपों की जांच के लिए गठित पाटील समिति ने 16 दोषारोप किए हैं। यह दोषारोप सिद्ध भी हुए हैं लेकिन हमारे सामने तकनीकी अड़चन यह है कि चोपड़े सेवानिवृत्त हो गए हैं। इसलिए उनके खिलाफ किस तरीके से कार्रवाई की जा सकती है इस बारे में सरकार ने विधि व न्याय विभाग से 8 दिनों में अभिप्राय मंगाया है। अभिप्राय मिलने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यदि जरूरत पड़ी तो फौजदारी कार्रवाई भी की जाएगी। सामंत ने कहा कि डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के दौरे के मद्देनजर विभिन्न कामों में हुई अनियमितता की जांच के लिए सरकार ने उपसचिव की अध्यक्षता में समिति बनाने का फैसला किया है। उपसमिति की रिपोर्ट 30 दिनों में आने के बाद संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सामंत ने कहा कि नैक के दौरे के मद्देनजर 8 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसमें से 5 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। इस आरोप की जांच के लिए विश्वविद्यालय की ओर से निंबालकर समिति बनाई गई थी। लेकिन समिति की रिपोर्ट अभी तक सरकार को नहीं मिली है। इसलिए सरकार ने उपसचिव की अध्यक्षता में समिति बनाने का फैसला किया है। सामंत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालयों को निधि खर्च करने के लिए दी जाती है। लेकिन बजट सत्र शुरू होने से पहले विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थिति के बारे में विभाग ने जानकारी मांगी थी तो विधानमंडल के कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया था। लेकिन नियति का खेल देखिए इसी सदन में ही कुलपति के भ्रष्टाचार का मामला आया है।