प्रापर्टी लेन-देन में सबसे अधिक धोखाधड़ी, 10 माह में 630 मामले
प्रापर्टी लेन-देन में सबसे अधिक धोखाधड़ी, 10 माह में 630 मामले
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सबसे ज्यादा धोखाधड़ी प्रॉपर्टी के लेन-देन में हो रही है। यह हम नहीं जिला ग्राहक तक्रार निवारण मंच के आंकड़े कह रहे हैं। गत 10 माह में यहां 630 मामले अलग-अलग कंपनी के खिलाफ आए, जिसमें सबसे ज्यादा मामले हाउसिंग के संबंध में हैं। यानी प्रॉपर्टी लेन-देन को लेकर ज्यादा धोखाधड़ी हुई है। इसी तरह बैंक, इंश्योरेंस में होने वाली धोखाधड़ी के मामले भी प्रति महीने दर्ज हो रहे हैं। शहर के प्रशासकीय इमारत क्रमांक एक में जिला ग्राहक पंचायत का कार्यालय है। ग्राहकों से होने वाली धोखाधड़ी को लेकर यहां शिकायतें सुनी जाती हैं। वहीं संबंधित कंपनी से लेकर धोखाधड़ी करने वाले दुकान मालिक आदि पर मामले दर्ज किए जाते हैं। प्रति महीने बैंक, इंश्योरेंस, हाउसिंग, टेलीकॉम, इलेक्ट्रिक, पोस्टल, रेलवे, एयरलाइंस व अन्य ऐसी श्रेणियों में मामले दर्ज होते रहते हैं। गत 10 माह के आंकड़े देखने पर कुल 630 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 196 मामले हाउसिंग श्रेणी में दर्ज हुए हैं। यानी प्रॉपर्टी लेन-देन को लेकर हुई धोखाधड़ी के मामले हैं।
यह मामले आए सामने
संबंधित अधिकारियों के अनुसार प्रति महीने 20 से ज्यादा मामले इस श्रेणी में दर्ज होते रहते हैं। जिसमें प्लाॅट को दो बार बेचने से लेकर फ्लैट बेचने में धोखाधड़ी के मामले शामिल है। बताया गया कि एक ही प्लाॅट को दो से तीन बार बेचा जाता है। जिसके बाद खरीदने वालों को इसकी भनक लगती है। लेकिन तब तक काफी देर हो जाता है। ऐसे में संबंधित प्लाॅट मालिक के खिलाफ मामले दर्ज किए जाते हैं।
दर्ज हुए धोखाधड़ी के मामले
अधिकृत जानकारी के अनुसार गत 10 माह में 630 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें जनवरी से अक्टूबर तक बैक श्रेणी में 57, इंश्योरेंस श्रेणी में 88 के अलावा एजुकेशन, इलेक्ट्रिक, मेडिकल, रेलवे, एयरलाइंस आदि श्रेणी में 50 से ज्यादा मामले हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले हाउसिंग श्रेणी में कुल 196 मामले दर्ज हुए हैं।
एक नजर आंकड़ों पर
गत 9 वर्षों का रिकार्ड देखें, तो प्रति वर्ष ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2011 में 839 मामले सामने आए। वहीं 2012 में 891 मामले, 2013 में 863 मामले आए। 2014 में 685 मामले, 2015 में 852 मामले, 2016 में 800 मामले, वर्ष 2017 में आंकड़ा कम होते हुए 617 तक पहुंचा, लेकिन अगले साल यानी 2018 में ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के 765 मामले सामने आए। वहीं वर्ष 2019 में अब तक यह मामले 630 तक पहुंच गए हैं। हालांकि वर्ष 2002 के आंकड़ांे के अनुसार 500 से ज्यादा मामले नहीं थे।