मराठा आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज, 27 जून को बांबे हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला
मराठा आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज, 27 जून को बांबे हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मेडिकल और डेंटल कोर्सेस में 16 फीसदी मराठा (एसईबीसी) आरक्षण लागू करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई से यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि 17 जून को दाखिले की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ऐसे में वह याचिका पर कोई आदेश पारित नही करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि दाखिले की प्रक्रिया खत्म हो गई है। ऐसे अदालत द्वारा कोई आदेश पारित करने पर अजीबो-गरीब स्थिति पैदा होगी। दरअसल, मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में 16 फीसदी आरक्षण लागू करने के राज्य सरकार के अध्यादेश के खिलाफ याचिका को हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने खारिज करने के बाद डॉ समीरदेशमुख और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामले में बीते 19 जून को सुनवाई हुई थी।
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की अवकाशकालीन पीठ ने इस दौरान महाराष्ट्र सरकार की दलील सुनने के बाद कहा था कि याचिका सही हो या हो सकता गलत हो, याचिकाकर्ता को सुनेबगैर इसका निपटारा नही किया जा सकता। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर 24 जून को अगली सुनवाई मुकर्रर की थी।
उधर मुंबई में बांबे हाईकोर्ट मराठा समुदाय को दिए 16 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 27 जून को फैसला सुनाएगा। राज्य सरकार ने मराठा समुदाय के लोगों को शिक्षा व सरकारी नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है। जिसके खिलाफ व समर्थन में कई याचिकाएं दायर की गई है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 26 मार्च 2019 को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को मराठा आरक्षण के विरोध में याचिका दायर करनेवाले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सदाव्रते गुणरत्ने ने न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने दावा किया कि मराठा आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते मेडिकल व इंजीनियरिंग के दाखिले को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। चूंकी यह मामला हाईकोर्ट में फैसले के लिए लंबित है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई नहीं हो रही है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगे। याचिका में दावा किया गया था कि राज्य सरकार की ओर से मराठा समुदाय को आरक्षण देने का निर्णय असंवैधानिक व मनमानीपूर्ण तथा सुप्रीम कोटे के फैसले के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक नहीं बढाया जा सकता है। मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने से आरक्षण की तय सीमा 68 प्रतिशत पहुंच गई है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं ने दावा किया था कि सरकार ने नियमों के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान किया है।