केदार युग का जलवा फिर नहीं दिखा
केदार युग का जलवा फिर नहीं दिखा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ में सहकारिता के प्रणेता स्व. बाबासाहेब केदार का अपना वर्चस्व कुछ ऐसा था कि एक बार आलाकमान से नाराज होकर मात्र अपने 5 अनुयायियों को बागी उम्मीदवार के रूप में जिले से खड़ा किया और पांचों विधानसभा क्षेत्र में वे सभी विजयी रहे। कलमेश्वर से रमेश बंग, काटोल से अनिल देशमुख, सावनेर से सुनील केदार, रामटेक से अशोक गुजर, कामठी से देवराव रडके विजयी रहे। केवल उमरेड से कांग्रेस के डा. श्रावण पराते विजयी रहे। इस लड़ाई में जित स्वनाम धन्य राजनेताओं को हार का सामना करना पड़ा। उसमें शेकाप के वीरेंद्र देशमुख व कांग्रेस के सुनील शिंदे, कांग्रेस के रणजीत देशमुख, आनंदराव महाजन, यादवराव भोयर जैसे कद्दावर नेता शामिल थे। इसमें से रणजीत देशमुख दो बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे और मुख्यमंत्री पद के कालांतर में दावेदार भी बने। सुलेखा कुंभारे राज्यमंत्री पद तक पहुंच गईं। नागपुर जिले में अग्रणी नेता रहे बाबासाहब केदार कभी पूर्ण मंत्री नहीं बने, किंतु जिले के पालकमंत्री अवश्य रहे। रमेश बंग, रणजीत देशमुख व रमेश बंग कैबिनेट मंत्री बने। सुनील केदार भी राज्यमंत्री रह चुके हैं। सुनील केदार पिछले चुनाव में जिले की 12 विधानसभा क्षेत्र में से अकेले ऐसे कांग्रेसी थे, जो चुनाव जीते। बाकी स्थानों पर कांग्रेस खेत रही।
जिन्हें फटकारा था उनके आगे हाथ जोड़ना पड़ेगा
उस्मानाबाद जिला परिषद उस्मानाबाद के आम सभा में शिवसेना के जिला प्रमुख कैलाश पाटील ने सवालों की बौछार करके कई बार जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को निरुत्तर किया था। अब उस्मानाबाद विधानसभा मतदाता संघ से शिवसेना की और से कैलाश पाटील को ही उम्मीदवारी मिली है। राकांपा के विधयक राणा जगजीत सिंह पाटील के साथ जिला परिषद के पदाधिकारियों ने भाजपा मे प्रवेश किया है। युति होने से शिवसेना के उम्मीदवार कैलाश पाटील को अब जिला परिषद के पदाधिकारियों के वोट हासिल करने के लिए द्वार पर जाने की नौबत आई है। बाल साहित्य सम्मेलन हो या पदाधिकारियों पर किया खर्च अथवा अन्य खर्च को लेकर शिवसेना के जिला प्रमुख कैलाश पाटील के साथ कई जि.प. सदस्यों ने आमसभा में जिला परिषद पदाधिकारियों की जमकर क्लास ली थी।