अब भी वक्त है बच्चों को संभाल लीजिए, साइबर वर्ल्ड एडीक्शन से बचने के उपाय
अब भी वक्त है बच्चों को संभाल लीजिए, साइबर वर्ल्ड एडीक्शन से बचने के उपाय
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हर 5 वर्ष में मन की नीड बदल जाती है। 16 की उम्र होने के बाद ब्रेन डेवलप नहीं होता है। जितना भी डेवलपमेंट है वाे 16 वर्ष के पहले ही हो जाता है। अगर कोई 2जी है वाे 2जी और अगर कोई 4 जी है वो 4 जी होकर रह जाता है। टीनएज बहुत ही सेसेंटिव होती है। इसमें हर किसी की मन की नीड होती है। कोई बहुत बड़ा बनना चाहता है तो कोई सुंदर दिखना चाहती है। इस तरह गर्ल्स और बॉयज दोनो की नीड अलग-अलग होती है। टीनएज पेडुंलम की तरह होती है। वर्कशॉप में 5 से लेकर 20 वर्ष तक की उम्र के बारे बताया। यह जानकारी साइबर एक्सपर्ट प्रा राकेश क्रपलानी ने दी, दैनिक भास्कर के सावधान @ नागपुर के इनिशियेटिव के अंतर्गत केडीके कॉलेज में साइबर वर्ल्ड एडीक्शन अवेयरनेस वर्कशॉप का आयोजन किया गया। क्रपलानी ने आगे बताया कि 90 प्रतिशत हमारा सबकॉन्शियस और 10 प्रतिशत कॉन्शियस माइंड काम करता है। स्टूडेन्ट्स को उदाहरणो के द्वारा साइबर वर्ल्ड एडीक्शन से बचने के उपाय बताए। सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होने कहीं कि साइबर क्राइम,ऑनलाइन फ्राॅड से बचने के लिए जरूरी है इंटरनेट फास्टिंग करना।
डार्कनेट की दुनिया है काली
इंटरनेट का एक स्वरूप हम देखते हैं जिसमें गूगल, याहू, फेसबुक, ट्विटर और अन्य अनगिनत वेबसाइटें होती है जिसे हर कोई खोल सकता है, लेकिन इंटरनेट में एक दुनिया और बसी है, जिसे ‘डार्कनेट ’ कहते हैं। डार्कनेट यानी इंटरनेट की इस काली दुनिया में कई गैरकानूनी बाजार सजते है। इसमें चाइल्ड पोर्न से लेकर हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त तक होती है। इस इंटरनेट की दुनिया में आपको सुपारी किलर से लेकर, बैन किताबें और फिल्में सब कुछ मिल जाएंगी। उन्होने स्टूडेन्ट्स से एक जानकारी शेयर करते हुए कहा कि हमारे इंडिया से हर वर्ष 1 लाख बच्चे गायब होते है। जिसका पता कोई नही लगा पाता है। इंटरनेट से बच्चों का सोशल बिहेवियर भी चेंज हो रहा है।
ना कहने वाली ही काम करते हे
उन्होंने बताया कि जब भी स्टूडेन्ट्स को जो चीज "नहीं 'करने के लिए कहीं जाती है,वे वहीं करते है। उन्हे मोबाइल का उपयोग नहीं करने के लिए कहा जाए तो वे और भी ज्यादा उसे उपयोग करते है। हमारा सबकॉन्शियस माइंड ज्यादा एक्टिव होता है। स्टूडेन्ट्स को विभिन्न प्रकार के डिजिटल अपराधों से बचने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए। सोशल मीडिया के दिन प्रतिदिन बढ़ते प्रभाव के बीच बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर कॉलेज के छात्रो को जागरूक किया गया। स्टूडेन्ट्स से उन्होंने आह्वान किया कि वह सोशल मीडिया पर गलत संदेश प्रसारित करने से अवश्य बचें। उन्होने स्टूडेन्ट्स से कहा कि किसी भी लिंक को क्लिक ना करें उससे हमारा पर्सनल डाटा हैकर्स के पास चला जाता है जिससे वे उसका मिसयूज भी कर सकते है।
ऑनलाइन करता है मन की नीड पूरी
क्रपलानी ने बताया कि ऑनलाइन में हर व्यक्ति की मन की नीड पूरी होती है और स्टूडेन्ट्स की मन की नीड पूरी हुई तो वे खुश हो जाते है। उदाहरण के लिए अगर कोई अपनी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है और उसे लाइक मिलते है तो वह खुश हो जाता हैै। उसके मन की नीड लाइक की थी। ऑनलाइन में मन की नीड पूरी होती है यानि कोई फोटो या पोस्ट डालते है तो तुरंत उसे लाइक और कमेंट मिलते है जिससे हम खुश हो जाते है। और हमारे मन की भी यही नीड है। वर्कशॉप में उन्होने सोशल मीडिया फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम में अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया। बच्चों को साइबर क्राइम के दुष्परिणाम बताए। ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के उपाय बताए। बच्चो को साइबर अपराधियों के तौर तरीकों की जानकारी दी,उनसे बचने के उपाय बताए।