जबलपुर चेंबर मोटे अनाज (मिलेट) स्टार्टअप लाने का करेगा प्रयास
जबलपुर जबलपुर चेंबर मोटे अनाज (मिलेट) स्टार्टअप लाने का करेगा प्रयास
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जबलपुर चेंबर मोटे अनाज (मिलेट) स्टार्टअप लाने का प्रयास करेगा इस संबंध में जबलपुर के स्टार्टअप जबलपुर चेंबर से संपर्क करें -होटल में मोटे अनाज से बना कम से कम एक व्यंजन शामिल करने का सुझाव दिया है। जबलपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इस तरह के स्टार्टअप लाने में मदद करें, जबलपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने मोटे अनाज (मिलेट) के उपयोग को बढ़ावा देने चैंबर व्यापक गतिविधियाँ आयोजित करेगा।
मार्केट में ऊंचे दामों पर है मौजूद ज्वार, बाजरा, रागी जैसे मोटा अनाजों को वित्तमंत्री ने दिया श्री अन्न का नाम, कृषि में स्टार्टअप को बढ़ावा देने का ऐलानज्यादा नहीं, आज से सिर्फ 50 साल पहले हमारे खाने की परंपरा (Food Culture) बिल्कुल अलग थी, हम मोटा अनाज (Coarse Grains) खाने वाले लोग थे। मोटा अनाज मतलब - ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), सवां, कोदों और इसी तरह के मोटे अनाज. 60 के दशक में आई हरित क्रांति के दौरान हमने गेहूं और चावल को अपनी थाली में सजा लिया और मोटे अनाज को खुद से दूर कर दिया, जिस अनाज को हम साढ़े छह हजार साल से खा रहे थे, उससे हमने मुंह मोड़ लिया और आज पूरी दुनिया उसी मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाजरा, रागी, कुटकी, संवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो को 2023 के लिए अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। 2021 में भारत में इसके उत्पादन में करीब 7% की बढ़ोतरी हुई है।
रागी से तैयार व्यंजनों में रागी डोसा, रागी रोटी के साथ नारियल की चटनी, कालू हुली, चटनी पाउडर सहित अन्य डिश बनाई गई थी, संयुक्त राष्ट्र ने मोटे अनाज के फायदों को देखते हुए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है।