हाईकोर्ट : कोरोना के मद्देनजर स्कूलों में छुट्टी हो घोषित, माल्या-चावला को जेल में न मिले विशेष सुविधाएं

 हाईकोर्ट : कोरोना के मद्देनजर स्कूलों में छुट्टी हो घोषित, माल्या-चावला को जेल में न मिले विशेष सुविधाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-13 12:55 GMT
 हाईकोर्ट : कोरोना के मद्देनजर स्कूलों में छुट्टी हो घोषित, माल्या-चावला को जेल में न मिले विशेष सुविधाएं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोराना विषाणु का मामला अब बांबे हाईकोर्ट पहुंच गया है। कोरोना के प्रकोप को प्रभावी ढंग से रोकने व नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार को सभी सरकारी व निजी स्कूलों में छुट्टी घोषित करने का निर्देश देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सागर जोधले ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि निचली अदालतों व न्यायाधिकरणों में प्रलंबित उन मामलों की सुनवाई को टाल दिया जाए जिसमें तत्काल सुनवाई की जरुरत नहीं हैं। इसके साथ ही सरकार की ओर से विभिन्न संस्थानों में कार्यरत लोगों को घर से कार्य करने की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। एयरपोर्ट पर कोरोना से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाएं। क्योंकि करीब सौ देशों में कोरोना का विषाणू फैल चुका है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित चीन है। जहां काफी लोगों की मौत कोरोना के कारण हो चुकी है। शुक्रवार को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने याचिका का उल्लेख किया गया। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मौजूदा समय में कोरोना के नियंत्रण को लेकर लोगों के मन में काफी चिंता है। इसके मद्देनजर सरकार को इस मामले में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया जाए। ताकि महाराष्ट्र में कोरोना के प्रसार को रोका जा सके। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। 

माल्या-चावला को जेल में न मिले विशेष सुविधाएं

वहीं भारतीय बैंको के करोड़ रुपए लेकर फरार शराब कारोबारी व आरोपी विजय माल्या व क्रिकट मैट फिक्सिंग के मामले में आरोपी संजीव चावला को जेल में विशेष सुविधाएं देने के विरोध में बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका सिटीजन एक्सन ग्रुप नामक संस्था की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जेल अधिकारियों की ओर से यूके में माल्या व चावला के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई के दौरान इन दोनों आरोपियों को यहां लाने के लिए जेल में विशेष सुविधाएं प्रदान करने की पेशकश की गई हैं। जिसके तहत इन आरोपियों को अलग से बड़ी बैरक प्रदान करने, इस बैरक में तीन पंखे लगाने, निजी चीजों को रखने के लिए व्यवस्था बनाने, खान-पान की बेहतर सुविधा देने, बैरक में टेलिविजन सेट और रोजाना वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपने वकील से बात करने जैसी सुविधा शामिल है। जरुरत पड़ने पर अपनी पसंद के डाक्टर से इलाज कराने की सुविधाएं देने का आश्वासन दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि राज्य में जेलों की स्थिति को लेकर प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि कैदी किस तरह से जेलों में अमानवीय स्थिति में रह रहे हैं। जेलों में पीने के लिए स्वच्छ पानी, शौचालय व दूसरी सुविधाओं का अभाव नजर आता है। ऐसे में पुलिस की जांच व मुकदमे से बचने के लिए फरार व भगौड़े आरोपी माल्या को जेल में विशेष सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय भेदभाव पूर्ण है। यह कैदियों के मालिक अधिकारों का हनन है। याचिका में कहा गया है कि भगौडे आरोपी माल्या को वीआईपी सुविधाएं देना उचित नहीं है। उसके साथ भी वैसा ही बरताव होना चाहिए जैसे एक आम कैदी अथवा आरोपी के साथ होता है। याचिका में मांग की गई है कि आरोपी माल्या व चावाला को जेल में सुविधएं देने से जुड़े रिकार्ड को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया जाए। शुक्रवार को यह याचिका कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 
 

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