हाईकोर्ट : कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति से जुड़े नियमों से समझौता नहीं
हाईकोर्ट : कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति से जुड़े नियमों से समझौता नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कॉलेज की कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति से जुड़े नियमों के तहत समझौता नहीं किया जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को विद्यार्थियों की कक्षा में 75 प्रतिशत उपस्थिति से जुड़े नियम में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए यह बात स्पष्ट की हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मुंबई के मीठीबाई कालेज के 107 ऐसे विद्यार्थियों की याचिका खारिज करते हुए उन्हें परीक्षा प्रविष्ट होने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। शुक्रवार से इन विद्यार्थियों की परीक्षाएं शुरु हो रही हैं। वाणिज्य संकाय के इन विद्यार्थियों की कक्षा में उपस्थिति 50 प्रतिशत कम होने के चलते कालेज ने इन्हें परीक्षा में प्रविष्ट होने से रोक दिया था। जिसके खिलाफ इन विद्यार्थियों ने अधिवक्ता स्वप्ना कोदे के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
गुरुवार को न्यायमूर्ति आरके देशपांडे व न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान विद्यार्थियों की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता स्वाप्ना कोदे ने कहा कि कालेज के प्राचार्य अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करके ऐसे विद्यार्थियों को भी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे रहे जिनकी उपस्थिति 50 से 60 प्रतिशत के बीच है। सिर्फ याचिकादायर करनेवाले विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा रही हैं। उन्होंने खंडपीठ से आग्रह किया कि विद्यार्थियों को कम से कम परीक्षा में शामिल होने दिया जाए भले ही उनका रिजल्ट रोक लिया जाए।
वहीं कालेज की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि मीठीबाई कालेज स्वायत्त संस्थान है। कालेज में जब विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया था उसी समय विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को कालेज में उपस्थिति से जुड़े नियम के बारे में बता दिया गया था। इस विषय में विद्यार्थियों ने लिखित आश्वासन भी दिया था। हमने विद्यार्थियों को ईमेल व एसएमएस के माध्यम से भी उनकी उपस्थिति की जानकारी उन्हें दी थी। ऐसा नहीं है कि कालेज ने अचानक कक्षा में 75 प्रतिशत उपस्थिति का नियम लाया हैं। यह नियम शिक्षा की गुणवत्ता व उसके स्तर को उंचा रखने के उद्देश्य से बनाया गया हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कालेज के प्राचार्य के पास सिर्फ पांच प्रतिशत उपस्थिति को कम करने का अधिकार होता हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी की एक विषय के लेक्चर में 70 प्रतिशत जबिक कुल 75 प्रतिशत उपस्थिति का नियम हैं। उन्होंने कहा कि कालेज में याचिका दायर करनेवाले विद्यार्थियों की उपस्थिति 50 प्रतिशत के आसपास हैं। इसलिए इन विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रविष्ट होने की इजाजत नहीं दी जा सकती हैं।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति से जुड़े नियमों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने कम उपस्थिति के बावजूद परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मांगनेवाले 107 विद्यार्थियों की याचिका को खारिज कर दिया।