हाईकोर्ट की नसीहत : दाभोलकर-पानसरे मामले में टिप्पणी से बाज आएं नेता
हाईकोर्ट की नसीहत : दाभोलकर-पानसरे मामले में टिप्पणी से बाज आएं नेता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पानसरे मामले में टीका-टिप्पणी करनेवाले नेताओं को नसीहत दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल व नेता इस मामले को लेकर परिपक्वता दिखाए। इसके साथ ही यह आश्वस्त करें की इन दोनों मामलों की जांच में कोई अवरोध पैदा न हो। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति बीपी कुलाबावाला की खंडपीठ ने कहा कि असहमति की आवाज को दबाया नहींं जाना चाहिए। खंडपीठ के सामने दाभोलकर व पानसरे के परिजनों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। अगस्त 2013 में पुणे में सामाजिक कार्यकर्ता दाभोलकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जबकि पानसरे की फरवरी 2015 में हत्या हुई थी। सीबीआई दाभोलकर मामले की जांच कर रही है और सीआईडी का विशेष जांच दल पानसरे मामले की तहकीकात कर रहा है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार जांच के लिए हर सभंव सहयोग उपलब्ध कराए। खंडपीठ ने कहा कि हम राजनीतिक दलों व उनके आकाओं से अपेक्षा करते हैं कि वे इस प्रकरण को लेकर परिपक्वता दिखाए और जांच में किसी तरह का अवरोध न पैदा करें।
बाज आएं नेता
खंडपीठ ने कहा कि सत्ताधारी राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करें की इस प्रकरण में शामिल किसी भी शख्स को छोड़ा न जाए। खंडपीठ ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त विभाग व सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के प्रधान सचिव को इस प्रकरण को लेकर सीबीआई व सीआईडी अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि यदि सीबीआई इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई करना चाहे तो राज्य सरकार उसे जमीनी स्तर पर हर संभव सहयोग प्रदान करे। खंडपीठ ने कहा कि हम इस बात को लेकर हैरान हैं कि राज्य सरकार व सीबीआई जांच के लिए कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा क्यों करती है? खंडपीठ ने कहा कि जब पडोसी राज्य कार्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की गई तो वहां की पुलिस ने तुरंत मामले की जांच शुरु कर दी और कोर्ट के आदेश के बगैर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 4 जून तक के लिए स्थगित कर दी है।