पहले एचडीएफसी ने इलाज के लिए रकम स्वीकृत की और बाद में कर दी कैंसल
बीमित का आरोप: बीमा कंपनी ने वादा करके हमारे साथ किया धोखा पहले एचडीएफसी ने इलाज के लिए रकम स्वीकृत की और बाद में कर दी कैंसल
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। 24 घंटे सात दिन वर्क करने का दावा करने वाली बीमा कंपनियाँ पूरी तरह आम लोगों को लाभ देने में पीछे हैं। यह आरोप पॉलिसी धारकों के द्वारा लगाए जा रहे हैं। दावे व वादे तो हजार किए पर आम नागरिकों को जरूरत के वक्त बीमा कंपनियों ने दूरियाँ बनाकर रखीं। अस्पतालों में कैशलेस करने से इनकार किया जा रहा है। अस्पतालों व दवाइयों के बिल जब बीमा कंपनियों को दिए जाते हैं उन्हें भी बीमा कंपनी के जिम्मेदार परीक्षण के नाम पर महीनों निकाल देते हैं और उसके बाद अचानक उक्त प्रकरण में क्लेम देने से इनकार कर देते हैं। यह किसी एक मामले में नहीं बल्कि सैकड़ों पॉलिसी धारकों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जा रहा है। बीमित क्लेम पाने के लिए बीमा कंपनियों के चक्कर लगा रहे हैं पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। अब तो स्थिति यह हो गई कि भर्ती होते वक्त राशि रिलीज की जाती है और फाइनल बिल बनने के बाद कैशलेस से इनकार कर स्वीकृत बीमा राशि कैंसल की जा रही है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
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सरवाइकल का आपरेशन कराया था बीमित ने
छतरपुर के नौगाँव भटका बंगला नंबर 15 तथा वार्ड नंबर 5 निवासी सतीश शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि एचडीएफसी से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है। पॉलिसी क्रमांक 2825188228128102 का कैशलेस कार्ड भी मिला था। वे पिछले पाँच साल से पॉलिसी का संचालन करते आ रहे हैं। 7 जुलाई 2022 को उन्हें सरवाइकल की दिक्कत हुई थी। इलाज के लिए अस्पताल गए तो डॉक्टरों ने दिल्ली में जाकर चैक कराने की सलाह दी। श्री शर्मा दिल्ली पहुँचे और वहाँ के निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए थे। इलाज के दौरान चिकित्सकों को सरवाइकल का आपरेशन करना पड़ा था। बीमित के द्वारा वहाँ पर कैशलेस कार्ड दिया तो बीमा कंपनी के द्वारा 2 लाख 80 हजार की राशि दो बार में अस्पताल को रिलीज की गई थी। जब अस्पताल प्रबंधन ने फाइनल बिल बनाकर बीमा कंपनी में भेजा तो बीमा कंपनी के द्वारा रिलीज की गई कैशलेस की राशि रिर्टन ले ली और कैशलेस से इनकार कर दिया। बीमित को बीमा कंपनी ने कहा कि आपको हम इलाज के लिए राशि नहीं दे सकते चूँकि आपने उस वक्त बीमारी हमसे छुपाई थी। बीमित ने आरोपों का जवाब बीमा कंपनी में सबमिट किया पर जिम्मेदार अधिकारी पॉलिसी धारक के जवाब को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं बीमा कंपनी के प्रतिनिधि उक्त संबंध में किसी भी तरह का जवाब नहीं दे रहे हैं।