पंचायत फण्ड में हेराफेरी के मामले पर नहीं दे सकते एफआईआर के निर्देश
पंचायत फण्ड में हेराफेरी के मामले पर नहीं दे सकते एफआईआर के निर्देश
डिजिटल डेस्क जबलपुर। सिवनी जिले की ग्राम पंचायत जोरावरी में सरपंच और सचिव द्वारा आरोपित तौर पर की गई हेराफेरी के मामले पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एफआईआर करने के निर्देश देने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पंचायत के सरपंच की जनहित याचिका खारिज करके उसे संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद स्वतंत्रता दी है।
युगलपीठ ने यह फैसला ग्राम पंचायत जोरावरी के निर्वाचित पंच गोविन्द सिंह चंद्रवंशी की ओर से वर्ष 2018 में दायर की गई जनहित याचिका पर दिया। इस मामले में आरोप था कि सरपंच विनोद डेहरिया और पूर्व सचिव बाराती लाल वर्मा द्वारा की गई हेराफेरी की शिकायत याचिकाकर्ता के साथ अन्य गांव वालों ने सीएम हेल्पलाईन में की थी। जनपद पंचायत सिवनी के सीईओ ने 17 नवम्बर 2016 को जांच के आदेश दिए थे। जांच में सरपंच और पूर्व सचिव के अलावा पूर्व सरपंच देवकी बाई, जल संसाधन विभाग के एसडीओ केके सक्सेना और डिप्टी इंजीनियर पीएस राजपूत को भी हेराफेरी का दोषी पाया गया था। इसके बाद भी उनके खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई न किए जाने पर यह जनहित याचिका दायर की गई थी।
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिका में चाही गई राहतों पर गौर करने के बाद मप्र हाईकोर्ट के ही पुराने फैसलों के मद्देनजर युगलपीठ ने एफआईआर के निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता हरजस छाबड़ा व अन्य अनावेदकों की ओर से अधिवक्ता विशाल डेनियल और अखिलेश कुमार जैन ने पैरवी की।