खुले में भोजन पकाने विवश परिजन : ठंड बढऩे के साथ ही रात में समय बिताना मुश्किल

मेडिकल कॉलेज में सडक़ बनी रसोई खुले में भोजन पकाने विवश परिजन : ठंड बढऩे के साथ ही रात में समय बिताना मुश्किल

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-10 11:50 GMT
खुले में भोजन पकाने विवश परिजन : ठंड बढऩे के साथ ही रात में समय बिताना मुश्किल

डिजिटल डेस्क,शहडोल। मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन भर्ती मरीजों की संख्या औसतन चार सौ से ज्यादा होने के बाद भी परिजनों के लिए भोजन पकाने से लेकर स्नान और सुविधा घर का इंतजाम नहीं है। संभाग के तीनों जिले (शहडोल, उमरिया और अनूपपुर) में चिकित्सा के प्रमुख केंद्र के रुप में स्थापित मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन की ओपीडी भी 5 सौ मरीजों से अधिक की है।

ऐसे में मेडिकल कॉलेज संचालित होने के 3 साल बाद भी मरीजों के परिजनों के लिए जरुरी इंतजाम नहीं होने प्रबंधन की कार्यशैली सवालों में है तो इस अव्यवस्था से सबसे परेशानी भी सुदूर गांव से आने वाले ग्रामीणों को हो रही है। इलाज के लिए मरीजों को लाने वाले ऐसे परिजन कॉलेज परिसर पर बाहर सडक़ पर भोजन पकाने विवश हैं। परिजनों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से कई बार भोजन पकाने के लिए शेड व दूसरी सुविधाओं की मांग की गई है। मेडिकल कॉलेज मरीजों को लाने वाले परिजनों को ठंड के समय में ज्यादा परेशान होना पड़ता है। शेड नहीं होने से रात में ठहरने का स्थाई इंतजाम नहीं है।  

मेडिकल कॉलेज में इसलिए जरुरी है सुविधाएं

मरीज को इलाज के समय संबल देने की परंपरा यहां रही है। ग्रामीण अंचल में कोई बीमार पड़ता है तो परिवार के सदस्यों के साथ ही पड़ोस के लोग भी अस्पताल पहुंचते हैं। खासबात यह है कि इस बात की जानकारी जिला अस्पताल प्रबंधन को है, और वहां ऐसे मरीजों के परिजनों के लिए अलग से शेड बनाकर पानी का इंतजाम किया गया है। महिला परिजनों के लिए स्नानागर सहित अन्य सुविधाएं भी है।

दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज में ऐसी सुविधा नहीं होने के कारण सुदूर ग्रामीण अंचल से आने वाले मरीज व उनके परिजनों की परेशानी बढ़ जाती है।

- मेडिकल कॉलेज में टीन शेड बनाने के साथ ही मरीजों के परिजनों के लिए सुविधाघर और स्नानगार बनाने का प्रस्ताव है। जल्द ही कमिश्नर से अनुमोदित करवाकर आगे की प्रक्रिया शुरु करेंगे। 
डॉ. मिलिंद शिरालकर
डीन मेडिकल कॉलेज शहडोल

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