12 साल बाद भी हार्ट के इलाज का क्लेम नही दिया यूनाईटेड इंश्योरेंस कंपनी ने

बीमित का आरोप: टीपीए कंपनी के अधिकारी कर रहे जालसाजी  12 साल बाद भी हार्ट के इलाज का क्लेम नही दिया यूनाईटेड इंश्योरेंस कंपनी ने

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-18 11:05 GMT
12 साल बाद भी हार्ट के इलाज का क्लेम नही दिया यूनाईटेड इंश्योरेंस कंपनी ने

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा कंपनी लाख दावे करें पर जरूरत के वक्त व मौत के बाद भी किसी तरह का सहयोग देने तैयार नही रहती है। अनेक खामियां निकालकर पॉलिसी धारक या फिर नामिनी को भटकाने के बाद नो क्लेम कर देती है। इस गोलमाल में एक कंपनी नही बल्कि आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस, बजाज एलियांज हेल्थ इंश्योरेंस, भारती एक्सा, हेल्थ इंश्योरेंस, चोला एमएस हेल्थ इंश्योरेंस,फ्यूचर जेनेरली हेल्थ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो जनरल हेल्थ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस (पहले का नाम अपोलो म्युनिक हेल्थ इंश्योरेंस), आईएफएफसीओ टोक्यो हेल्थ इंश्योरेंस, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस, मणिपालसिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस, नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस, न्यू इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस, ओरिएण्टल हेल्थ इंश्योरेंस, रहेजा क्यूबीइ हेल्थ इंश्योरेंस, रॉयल सुंदरम हेल्थ इंश्योरेंस, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस, एसबीआई हेल्थ इंश्योरेंस, टाटा एआईजी हेल्थ इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस, यूनिवर्सल सोम्पो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी कर रही पर जिम्मेदार पूरी तरह मौन हैं। पॉलिसी धारकों के द्वारा बीमा कंपनियों पर गंभीर आरोप लगा रहे है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

परेशान होकर पोर्ट कराना पॉलिसी दूसरी कंपनी में

हरियाणा दीवानी सिटी निवासी घनश्याम शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि यूनाईटेड इंश्योरेंस कंपनी से लगातार स्वास्थ्य बीमा कराते आ रहे है। बीमा कंपनी के द्वारा कैशलेस की सुविधा भी दी गई थी। इन सुविधाओं को देखते हुए वे प्रतिवर्ष पॉलिसी रिन्यु कराते आ रहे थे। मई 2013 में सीने में दर्द होनें के कारण चैकअप कराने अस्पताल गए तो वहां पर ब्लाकेज की शिकायत बताई गई। वहां पर इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा और बीमा कंपनी को भी कैशलेस के लिए सूचना दी गई। अधिकारियों ने यह कहा था कि आपको बिल सम्मेट करने के बाद सारा भुगतान कर दिया जाएंगा। इलाज का भुगतान उन्होंने अपने पास से किया और ठीक होनें के बाद बीमा कंपनी में सारे बिल व रिपोर्ट बीमा कंपनी में सम्मेट की। इंश्योरेंस कंपनी के टीपीए अधिकारियों ने अनेक प्रकार की क्वेरी निकाली। बीमित ने सारे तथ्यों के साथ दोबारा सारे दस्तावेज सत्यापित कराकर दिया तो जिम्मेदारों ने यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट कर दिया की हमारी कंपनी हार्ट में पेसमेकर डलवाने का क्लेम नही दिया जाता है। बीमित ने कई बार संपर्क किया पर 12 साल बाद भी उसे भुगतान नही किया। परेशान होकर बीमित ने दूसरी कंपनी में अपनी पॉलिसी पोर्ट करा ली।
 

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