स्वास्थ्य को लेकर नए वर्ष में और बेहतर कार्य होने का अनुमान

कायाकल्प के रूप में बदला शासकीय अस्पतालों का स्वरूप स्वास्थ्य को लेकर नए वर्ष में और बेहतर कार्य होने का अनुमान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-28 08:40 GMT
स्वास्थ्य को लेकर नए वर्ष में और बेहतर कार्य होने का अनुमान

डिजिटल डेस्क,शहडोल। स्वास्थ्य की दृष्टि से बीत रहा वर्ष जिले के लिए बेहतर ही माना जा सकता है। जिले में कोरोना जैसी गंभीर बीमारियों को लेकर इमरजेंसी हालात नहीं बने। फिर भी कुछ ऐसी आवश्यक सुविधाएं इस वर्ष भी नहीं मिल सकीं, जो बेहतर उपचार में कारगर साबित हो सकती हैं। जिला चिकित्सालय सहित ब्लाक मुख्यालयों में स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी अभी भी बरकरार है। तो मेडिकल कॉलेज में सोनोग्राफी तथा ब्लड बैंक सुविधा अभी भी मरीजों को नहीं मिल रही है। सम्पूर्ण कायाकल्प अभियान ने समस्त शासकीय अस्पताल भवनों को नया लुक देने के साथ मरीजों की सुविधाओं के संसाधन जुटाने में मदद मिली। लेकिन चिकित्सकों की कमी का विकल्प अभी दिखाई नहीं दे रहा है।

इन कार्यों से बढ़ी सुविधाएं

स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिले में अनेक कार्य हुए और सुविधाएं बढ़ीं, जिसका लाभ मरीजों को मिलने लगा है। शासकीय बिरसा मुंडा चिकित्सा महाविद्यालय में हॉस्पिटल मैनेजमेंट इन्फार्मेेशन सिस्टम (एचएमआईएस) शुरु हो चुका है, जो न केवल मरीजों के उपचार में मदद मिलेगी अपितु बीमारियों के संबंध में नए अनुसंधान हो सकेंगे। डीन डॉ. मिलिंद शिरालकर के अनुसार यह सिस्टम इसी वर्ष शुरु हुआ है, जिसके तहत उपचार के लिए आने वाले सभी मरीजों की हिस्ट्री पोर्टल में दर्ज होती है। इसका फायदा यह है कि मेडिकल से संबंधित वह जानकारी देखी जाकर दवा तथा बीमारी के बारे में नए रिसर्च किए जा सकते हैं। इसके अलावा एनएबीएच के निरीक्षण में मेडिकल कॉलेज उनके मापदण्डों पर खरा उतरा है जो इस संस्थान के लिए बेहतर है। इसी प्रकार सीएमएचओ डॉ. आरएस पांडेय के अनुसार बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बढ़े 30 प्रतिशत का लाभ यह हुआ कि जिला चिकित्सालय सहित समस्त सीएचसी, पीएचसी भवनों का कायाकल्प होने के साथ बैठने, टायलेट सहित अन्य जरूरी सेवाओं में बढ़ोतरी हो पाई है।

ये कमियां इस साल भी बरकरार

अनेक संसाधनों में बढ़ोतरी के बाद भी इस वर्ष जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा अन्य चिकित्सकों की कमी बनी रही। नियमित, संविदा तथा बांड आधारित तीन स्तरों में चिकित्सकों की व्यवस्था के बाद भी यह कमी दूर नहीं की जा सकी है। मेडिकल कॉलेज में अभी तक रेडियोलॉजिस्ट की पदस्थापना नहीं होने के कारण सोनोग्राफी नहीं हो पा रही है। मरीजोंं को इसके लिए जिला चिकित्सालय जाना पड़ता है। इसके अलावा ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है। हालांकि यह प्रक्रिया भोपाल स्तर से पूरी होनी है, जिसके लिए पत्राचार किया जा रहा है।

इस वर्ष है बड़ी उम्मीदें

संभाग भर से मेडिकल कॉलेज आने वाले मरीजों के लिए आने वाला साल बेहतर हो सकता है। डीन के अनुसार एनएबीएच से प्रमाण पत्र मिलने के साथ ही अन्य सुविधाओं में भी इजाफा हो सकता है। एमडी जैसे कोर्स के लिए वर्ष 2023 में अनुमति का आवेदन दिया जा सकेगा। वहीं सीएमएचओ के अनुसार निजी मेडिकल कॉलेज से भी निकलने वाले डॉक्टरों को एक वर्ष की सेवा देने की बाध्यता के बाद चिकित्सकों की कमी दूर हो सकेगी। सरकार की यह नीति वर्ष 2023 से प्रभावी हो सकती है।
 

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