ईडी की कार्रवाई - विधायक रत्नाकर गुट्टे की 255 करोड़ की संपत्ति जब्त
ईडी की कार्रवाई - विधायक रत्नाकर गुट्टे की 255 करोड़ की संपत्ति जब्त
डिजिटल डेस्क, परभणी। पूर्व मंत्री महादेव जानकर की अगुवाई वाली राष्ट्रीय समाज पार्टी के विधायक रत्नाकर गुट्टे ने किसानों के नाम पर करोड़ों लेकर अपनी कंपनियों में निवेश किया। यह आरोप लगने के बाद प्रवर्तन निदेशालय अर्थात ईडी ने उनकी 255 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर लीं। गंगाखेड़, परभणी, बीड़ और धुलिया में बुधवार आधी रात से कार्रवाई गुरुवार को भी जारी रही। ईडी ने जांच में पाया कि विधायक गुट्टे ने जिले की गंगाखेड़ शुगर्स और एनर्जी लिमिटेड चीनी कारखाने के माध्यम से सैकड़ों किसानों के नाम पर आपसी ऋण लिया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि किसानों के नाम पर लिए गए कर्ज को गंगाखेड़ शुगर एनर्जी लिमिटेड समेत धुलिया जिले में उनके स्वामित्ववाली योगेश्वरी हैचरी, गंगाखेड़ में गंगाखेड़ सौर ऊर्जा लिमिटेड में निवेश किया है।
जब्त संपत्तियों का विवरण
ईडी ने बुधवार देर रात गंगाखेड़ शुगर एंड एनर्जी लिमिटेड के 247 करोड़ रुपए के उपकरण, 5 करोड़ रुपए की ज़मीन, धुले जिले में योगेश्वरी हैचरी, परभणी में गंगाखेड़ सोलर पावर लिमिटेड के बैंकों में निवेश, बीड़ और धुले में लगभग 1.5 करोड़ रुपए और गंगाखेड़ शुगर्स लिमिटेड के 1 करोड़ रुपए के उपकरणों को लेकर कार्रवाई की। कुल 255 करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित की गई है।
किसानों के नाम पर उधार लिए रुपए
विधायक गुट्टे पर किसानों के नाम पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक उधार लेने का आरोप लगाया गया है। तत्कालीन विधायक डा मधुसूदन केंद्रे ने इस संबंध में गवाह के साथ शिकायत दर्ज कराई थी। इसके अलावा, सामाजिक न्याय मंत्री और तत्कालीन विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने विधानसभा में मुद्दा उठाया था और कार्रवाई की मांग की थी। ईडी ने अब तक जांच पर कार्रवाई की है।
जेल में रहकर जीती विधानसभा सीट
विधायक रत्नाकर गुट्टे, जो किसानों के नाम पर करोड़ों रुपये उधार लेने के मामले में न्यायिक हिरासत में थे, उन्होंने जेल से 2019 में गंगाखेड़ विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। 26 मार्च, 2019 को रत्नाकर गुट्टे को औरंगाबाद में सीआईडी टीम ने गिरफ्तार किया और गंगाखेड़ में एक निचली अदालत के समक्ष पेश किया गया। मामला कई दिनों तक औरंगाबाद उच्च न्यायालय में चला। उसे वहां जमानत नहीं दी गई। उन्होंने अंत में उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की, जहां 346 दिनों के बाद उन्हें 5 मार्च, 2020 को जमानत दी गई। उन्होंने लगभग एक साल जेल में बिताया।