परभणी: फर्जी आउटगोइंग नंबरों के आधार पर नौकरी पाने वाले 154 शिक्षकों और कर्मचारियों की सेवा समाप्त
- जिले के बहुचर्चित फर्जी भर्ती मामले में विभागीय उपनिदेशक अनिल साबले का आदेश
- फर्जी आउटगोइंग नंबरों के आधार पर नौकरी पाई
- 154 शिक्षकों और कर्मचारियों की सेवा समाप्त
डिजिटल डेस्क, परभणी. जिला परिषद प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अराजक प्रशासन के कारण फर्जी शिक्षक और गैर-शिक्षा कर्मचारी भर्ती घोटाला हुआ। इस मामले में अब फर्जी आउटगोइंग नंबर के आधार पर सीधी भर्ती की मंजूरी देने वाले तत्कालीन शिक्षाधिकारी, वेतन अधीक्षक समेत अन्य पर कार्रवाई होगी। साथ ही शिक्षा उपसंचालक अनिल साबले ने निबंधित आउटगोइंग नंबर के नीचे खाली जगह पर सब-जॉब नंबर डालकर नौकरी पाने वाले 154 लोगों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया है। खासकर उन लोगों से वेतन वसूली के लिए नियमों का पालन किया जायेगा। जिन्हे नौकरी मिल गई और वेतन भी मिल गया।
जिला परिषद के तत्कालीन शिक्षाधिकारी और वेतन अधीक्षक ने सुपरस्क्रिप्ट के आधार पर उप-नौकरी संख्याओं की गणना और प्रवेश किया और 154 शिक्षकों और गैर-शिक्षा कर्मचारियों से करोड़ों रुपये एकत्र किए और उन्हें सीधे सेवा में ले लिया।इस मामले में जांच रिपोर्ट पर हुई सुनवाई में गलत प्रक्रिया सामने आने पर शिक्षा उपसंचालक अनिल साबले ने 154 शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया है।
सुनवाई में यह बात सामने आई, कि 154 शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति में आउटगोइंग नंबर को ओवरराइट कर ऐसा किया गया। साबले ने जारी आदेश में इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त करते हुए संबंधित शिक्षा अधिकारी और अधीक्षक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
बताया गया कि परभणी के शिक्षा विभाग में तीन वर्षों 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में 53 आउटगोइंग नंबरों में ओवरराइटिंग का रिकॉर्ड लेकर संबंधित की फाइलों को मंजूरी दे दी गई थी, इस रिकॉर्ड के अनुसार 154 लोगों को शिक्षा और गैर-शिक्षा कर्मचारियों के रूप में प्रत्यक्ष रोजगार मिला।फर्जी भर्ती प्रक्रिया का खुलासा तब हुआ जब यह फाइल मंजूरी के लिए परभणी की तत्कालीन शिक्षा अधिकारी वंदना वाव्हुल के पास आई।तदनुसार, शिक्षा अधिकारी वाव्हुल ने 8 सितंबर 2020 को शिक्षा निदेशक, उप निदेशक और जिला परिषद के सीईओ को एक पत्र भेजा और शिक्षा विभाग में शिक्षकों और गैर-शिक्षा कर्मचारियों की अनियमित भर्ती को उनके संज्ञान में लाया।तदनुसार, शिक्षा उप निदेशक ने हिंगोली के तत्कालीन शिक्षा अधिकारी पीबी पावसे की अध्यक्षता में एक जांच समिति नियुक्त की। छत्रपति संभाजीनगर वेतन अधीक्षक बीएस पालवे, सोनपेठ समूह शिक्षा अधिकारी शौकत पठान समिति के सदस्य थे।
इस समिति द्वारा 11 नवंबर, 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद यह फर्जी शिक्षक और कर्मचारी भर्ती घोटाला सामने आया। 53 आउटबाउंड नंबरों में यह देखा गया कि प्रवेश के नीचे विशेष चिह्न बनाने के साथ-साथ खाई बनाकर अन्य प्रविष्टियां की गईं।रिपोर्ट के बाद शिक्षा उपनिदेशक अनिल साबले ने संबंधित संस्था निदेशकों, नियुक्त शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ सुनवाई की। उपनिदेशक ने संबंधित की सेवाएँ निरस्त करने के आदेश पारित किये। इसके मुताबिक 154 लोगों की नौकरी चली गई है।