पांच साल से सड़क,बिजली,पानी की सुविधा को तरस रहा जिले का औद्योगिक क्षेत्र दियापीपर

उद्योगों से रोजगार और विकास को कैसे लगेंगे पंख पांच साल से सड़क,बिजली,पानी की सुविधा को तरस रहा जिले का औद्योगिक क्षेत्र दियापीपर

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-27 09:18 GMT
पांच साल से सड़क,बिजली,पानी की सुविधा को तरस रहा जिले का औद्योगिक क्षेत्र दियापीपर

डिजिटल डेस्क,शहडोल। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर रीवा रोड पर दीयापीपर में उद्योगों की स्थापना के लिए 35 हेक्टेयर क्षेत्र 2017 में चिन्हित किया गया। दावे किए गए कि यहां उद्योगों की स्थापना होगी और आदिवासी अंचल में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे। इसके लिए मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआइडीसी) को सड़क, बिजली और पानी का इंतजाम करना था। जिससे लोग उद्योग के लिए आकर्षित होते। जानकर ताज्जुब होगा कि 5 साल में इन सुविधाओं के लिए विभाग का प्रयास डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने तक सीमित रहा।

नतीजा यह हुआ कि उद्योग के लिए चिन्हित दियापीपर औद्योगिक क्षेत्र में पांच साल के दौरान एक भी उद्योग की स्थापना नहीं हो सकी। प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के दावों के बीच चिन्हित औद्योगिक क्षेत्र में समय रहते जरुरी सुविधाओं को लेकर अब भी सवाल यही है कि आखिर जिम्मेदार विभाग इसके कितनी गंभीरता से ले रहे हैं। एमपीआइडीसी रीवा के अधिकारी यूके तिवारी इस पूरे मामले को लेकर कहते हैं कि दियापीपर में सड़क सहित अन्य सुविधाओं का विकास होना है, इसके लिए पैसे भोपाल से स्वीकृत होने हैं।

समन्वय की जरुरत

शहडोल में पानी पर्याप्त है, जमीन की कमीं नहीं है। बिजली के लिए समीप में बड़े पावर हाउस हैं। श्रमवीरों की भी कमीं नहीं है। इसके बाद भी उद्योगों की स्थापना कर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तैयार नहीं हो पा रहे हैं तो कहीं न कहीं समन्वय की कमी है। शहर के जाने माने उद्योगपति संजय मित्तल का मानना है कि निवेश के लिए यूपी जैसे प्रयास की जरुरत है। कहीं न कहीं उद्योग विभाग में जानकारों की कमीं है। इस विभाग के लोगों को उद्योग लगाने वालों की पहचान कर उन्हे प्रेरित करना चाहिए। जानकारी से लेकर दूसरी मदद करनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

नरसरहा में उद्योग की जमीन पर अतिक्रमण

सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यम विभाग द्वारा नरसरहा में उद्योगों की स्थापना के लिए 51 प्लॉट चिन्हित किया गया। इस जमीन को विभाग के अधिकारी सुरक्षित नहीं रख पाए। 51 प्लॉट में 5 में शेड व 6 में ही अन्य कार्य हुए। विभाग ने अलग-अलग इकाइयों के लिए 38 प्लॉट आबंटित किए, लेकिन ज्यादातर ने जमीन लेकर उद्योग लगाने में रुचि नहीं दिखाई। यहां उद्योग के लिए आरक्षित जमीन अतिक्रमण की चपेट में है। छुटभैये नेता करीबियों को भेजकर जमीन पर कब्जा करवा रहे हैं। जाहिर है यहां इकाई नहीं लगने से सीधा नुकसान युवाओं को रोजगार में होगा।

बैंक के चक्कर लगाते परेशान हो रहे युवा

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) में 54 के लक्ष्य में 410 आवेदन आए, इसमें 113 स्वीकृत प्रकरणों में 54 को 6 करोड़ 95 लाख रुपए स्वीकृत किया गया। जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र विभाग में संचालित दूसरी योजना मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति में 4 सौ के लक्ष्य में 303 आवेदन में 118 स्वीकृत प्रकरण में 112 को 7 करोड़ 10 लाख रुपए वितरित हुआ। पीएमईजीपी के ज्यादातर प्रकरण बैंक में लटके रहने से युवा बैंकों के चक्कर लगाते परेशान हैं।
 

Tags:    

Similar News