हार्ट अटैक से बचाने पुलिस कर्मियों व परिजनों को दी जा रही सीपीआर की ट्रेनिंग
120 बार छाती पुश करें तो बच सकती है जान हार्ट अटैक से बचाने पुलिस कर्मियों व परिजनों को दी जा रही सीपीआर की ट्रेनिंग
डिजिटल डेस्क,शहडोल। हार्ट अटैक होने की स्थिति में लोगों की जान बचाने के लिए पुलिसकर्मियों को कार्डियोप्लमोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पुलिस लाईन स्थित सामुदायिक भवन में पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक की मौजूदगी में जिला स्तरीय प्रशिक्षण हुआ। जिसमें डॉ. मनोज जायसवाल एवं डॉ. ऋषि द्विवेदी जिला अस्पताल की मेडिकल टीम द्वारा 2 घंटे तक प्रैक्टिकल सीपीआर की ट्रेनिग देते हुए हार्ट अटैक की स्थिति में जान बचाने का प्रशिक्षण दिया। ट्रेनिंग में मौजूद पुलिसकर्मियों, परिजनों, शासकीय उमा विद्यालय पुलिस लाईन एवं इंदिरा गांधी गल्र्स कालेज की छात्राओं ने मौजूद रहकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण में थाना गोहपारू, सिंहपुर, अजाक, महिला थाना, कोतवाली, सोहागपुर, थाना यातायात रक्षित केन्द्र, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, उप पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय एवं पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के 250 से अधिक पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए।
अनुभाग स्तर पर भी ट्रेनिंग
अनुभाग स्तरीय कार्यक्रम के तहत ब्यौहारी थाना परिसर में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉ. अजय कुमार गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल टीम अंजली गौतम, नीता श्रीवास्तव एवं एएनएम फूलबाई द्वारा 1 घंटे तक प्रैक्टिकल सीपीआर की ट्रेनिग देते हुए हार्ट अटैक की स्थिति में जान बचाने का प्रशिक्षण दिया। अनुभाग धनपुरी के थाना बुढ़ार परिसर में प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र के डॉ.जितेन्द्र पटेल एवं उनकी मेडिकल टीम द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
क्या है सीपीआर
कार्डियोप्लमोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया है, जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धडक़ना बंद कर देता है, तो उसे कार्डिया अटैक कहते हैं। कार्डिया अटैक के दौरान, हृदय मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप नही कर सकता है। सीपीआर देने के दौरान अपने दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में जोर से और तेजी से पुश करना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने दें। सीपीआर की इस विधि को हैंड्स-ओनली कहा जाता है और इसमें व्यक्ति के मुंह में सांस देना शामिल नहीं होता है।