लोक अदालत में मामले का निपटारा होने पर वापस हो कोर्ट फीस, गुड फ्राईडे वैकल्पिक अवकाश पर जवाब तलब
लोक अदालत में मामले का निपटारा होने पर वापस हो कोर्ट फीस, गुड फ्राईडे वैकल्पिक अवकाश पर जवाब तलब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि किसी मामले का निपटारा लोक अदालत में किया जाता है तो वह कोर्ट फीस के रुप में दी गई सारी राशि वापस पाने का हक रखता है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। हाईकोर्ट ने विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम व सिविल प्रोसिजर कोड के प्रावधानों के आधार पर यह फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस शंकलेचा की खंडपीठ ने अपने फैसले में साफ किया है कि लोक अदालत विवाद निपटारे का एक वैकल्पिक माध्यम है। जिसके इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कानून में कोर्ट फीस के रुप में भुगतान की गई राशि के शत प्रतिशत भुगतान का प्रावधान किया गया है। खंडपीठ ने यह फैसला एमएस पाटील की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। पाटील के मुकदमे (सिविल सूट) का निपटारा लोक अदालत के माध्यम से हुआ था। फिर भी उसके द्वारा भुगतान की गई कोर्ट फीस का पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा था।
गुड फ्राईडे को वैकल्पिक अवकाश बनाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
गुड फ्राइडे त्यौहार के दिन की छुट्टी को वैकल्पिक किए जाने के विरोध में दायर याचिका पर बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक से जवाब मांगा है। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता एंथोनी दुअर्ते ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। गुरुवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नादराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरेष जगतियानी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दमन व दीव तथा दादरा नगर हवेली के प्रशासक ने इस बार गुड फ्राइडे त्यौहार की छुट्टी को वैकल्पिक बना दिया है। पिछले पचास सालों से यह छुट्टी देश भर में अनिवार्य सार्वजनिक अवकाश की श्रेणी में है। यह पहला मौका है जब गुड फ्राइडे के त्यौहार की छुट्टी को वैकल्पिक बनाया गया है। प्रशासक का यह निर्णय भेदभावपूर्ण है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए। यह पहला मौका है जब गुड फ्राइडे की सार्वजनिक छुट्टी को वैकल्पिक किया गया है। याचिकाकर्ता के वकील की इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने दमण-दिव व दादरा-नगर हवेली के प्रशासक को याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। और मामले की सुनवाई 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।