कोरोना के साए में होगी, रंग का कारोबार हुआ बेरंग
कोरोना के साए में होगी, रंग का कारोबार हुआ बेरंग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन के चलते बाजार आंशिक रूप से बंद है। सोमवार 29 मार्च को होली है। होली के लिए रंग, पिचकारी और मुखौटे आदि की मांग बढ़ जाती है। रंग और पिचकारी की बिक्री साल में एक बार होली के दाैरान होती है। सीजन में कुल मिलाकर 5-6 करोड़ रुपए का व्यापार हो जाता है। इस साल भी व्यापारियों ने पिचकारियां, रंग और मुखौटे मंगाए हैं, लेकिन सवाल यह है कि 5 कारोबारी दिन के सीमित समय में कितनी बिक्री हो पाएगी। व्यापारियों का कहना है कि इतने कम दिनों में बिक्री का आंकड़ा 40 से 50 प्रतिशत के ऊपर नहीं जा पाएगा। शहर में बाहरी ग्राहकों का भी आवागमन बंद है। कई ग्राहक दूसरे शहरों से माल खरीद रहे हैं।
मुखौटे की रहेगी कमी
जनरल मर्चेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पंकज पडिया ने बताया कि आजकल पिचकारियों का निर्माण भारत में ही होने लगा है, लेकिन होली में लगाए जानेवाले मुखौटों का आयात बड़ी मात्रा में चीन से होता है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण इस साल चीन से माल नहीं आ पाया है। कुछ सामान का निर्माण भारत में हुआ है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। इसीलिए इस साल मुखौटे आदि की कमी रहेगी। भालू, भूत, शेर आदि के मुखौटे हैं।
व्यापारियों ने कम मंगाया माल : कोरोना संक्रमण के चलते इस साल लोग रंग का उपयोग कम करेंगे। ऐसे में व्यापारियों ने भी रंग और गुलाल कम ही मंगाया है। हाथरस (उत्तर प्रदेश) से व्यापारी रंग और गुलाल मंगाते हैं। उसी प्रकार शहर में भी थोड़ी मात्रा में गुलाल का उत्पादन किया जाता है।
05 से 06 करोड़ रुपए का सीजन में होता था कारोबार
40 से 50 प्रतिशत तक ही बिक्री की उम्मीद
मोबाइल गेम और कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां : व्यापारी अजय संघवी ने बताया कि महानगर के होली बाजार में एक से बढ़कर एक पिचकारियां बच्चों को लुभाने में लगी हैं। इनमें पबजी, डोरेमॉन, लाइट वाली बंदूक, स्पाइडर मैन, छोटा भीम, बोतल पिचकारी, फव्वारा पिचकारी, स्प्रे आदि है।
दस प्रतिशत तक बढ़े दाम व्यापारियों ने बताया कि प्लास्टिक की कीमत बढ़ने के कारण इस साल पिचकारियों के दाम में 10 से 15 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। पिछले साल 100 रुपए में खरीदी गई पिचकारी इस साल 110 रुपए में खरीदनी पड़ेगी। चीन के आइटम की मांग इस बार चीन की पिचकारियां और रंग गुलाल बच्चों के लिए बाजार में नहीं है। होली पर चीन की पिचकारी, कई फ्लेवर में स्प्रे और रंगों की मांग रहती है। सस्ते होने के कारण इनकी बिक्री ज्यादा होती है। लेकिन इस साल चीन की पिचकारी, मुखौटे, स्प्रे आदि नहीं मंगवाए गए हैं। इस बार बाजार में देसी पिचकारियां खूब आई हैं। इसके साथ ही हर्बल कलर भी ऐसे आए हैं, जो पाउडर जैसे हैं। ये पानी में जल्द घुल जाएंगे।