राज्य में शुरू हुई बाघों की गणना , बढ़ सकती है संख्या, लगाए गए हैं कैमरा ट्रैप
राज्य में शुरू हुई बाघों की गणना , बढ़ सकती है संख्या, लगाए गए हैं कैमरा ट्रैप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र राज्य में बाघों की गणना शुरू हो गई है। जनवरी से मई तक 5 माह तक यह गणना चल सकती है। इस गणना से राज्य में कितने बाघ अभी हैं। यह आंकड़ा सामने आयेगा। बाघों की गतिविधियोंवाली जगह पर कैमरा ट्रैप लगाये गये हैं। एनटीसीए ( नेशनल टायगर ऑथॉरिटी) के अनुसार वर्ष 2018 में महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 312 होने की पुष्टि की है। ऐसे इस साल बाघों की संख्या में वृध्दि होने की बात सामने आ सकती है।
बाघों के संरक्षण व संवर्धन के लिए देश में कितने बाघ मौजूद हैं, इसकी जानकारी जरूरी है। नेशनल टाइगर ऑथॉरिटी की ओर से प्रति 4 साल में एक बार बाघों की गणना की जाती है। जिसके बाद राज्य में भी बाघों की संख्या निर्धारित की जाती है। तीन साल पहले तक राज्य स्तर पर भी बाघों की गणना की जाती थी। पूनम की रात में चांद की रोशनी में मचान पर बैठकर यह गणना होती थी। जंगल में मचान को पानी के करीब बनाये जाते थे। जहां रात में वन्यजीव पानी पीने के लिए आते थे। इस वक्त इनकी गणना की जाती थी। मचान पर पर्यटन प्रेमियों को भी बैठने का मौका मिलता था। मचान गणना में कई बार एक वन्यजीव को बार-बार गिना जाता था। ऐसे में इसे अधिकृत नहीं मानाते हुए इसे केवल नैसर्गिक अनुभव तक समित रखा जाता था। बाघों की गणना के लिए केवल एनटीसीए पर निर्भर रहना पड़ता था।
यह ऑथोरिटी 4 साल में एक बार बाघों की गणना करती है। जिससे 4 साल में राज्य के बाघों की क्या स्थिति है, यह समझ से परे रहती है। वहीं इनके लिए उपाययोजना भी ठीक से नहीं हो पाती है। बाघों के संर्वधन के लिए अब राज्य सरकार ने अहम कदम उठाया है। इस साल राज्य के वनक्षेत्र से लेकर पार्क, जू यहां तक बाघ पाये जानेवाले इलाकों में बाघों की गणना की जाएगी। जिससे आनेवाले समय में बाघों की संख्या से लेकर बाघों की गतिविधियों को समझना आसान हो जाएगा।
राज्य में कुल भौगौलिक क्षेत्र के मुकाबले वन परिक्षेत्र 16.4 प्रतिशत है। कुल वन-परिक्षेत्र के मात्र 17.23 प्रतिशत में ही घना जंगल है। शेष वनक्षेत्र या तो मध्यम है, या फिर खुला वन क्षेत्र है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में घना जंगल – 8736 वर्ग किलोमीटर है। मध्यम घना जंगल – 20652 वर्ग किलोमीटर वहीं खुला वन क्षेत्र - 21294 वर्ग किलोमीटर है। इसमें मेलघाट, ताडोबा अंधारी, बोर, नागझिरा, नवेगांव, सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प आदि वन क्षेत्र हैं। जहां तीन चरणों में गणना शुरू हो गई है। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2006 में राज्य में बाघों की संख्या 103 थी। वही 2010 में यह संख्या 169 पर पहुंची। वर्ष 2014 में राज्य में 190 बाघ सामने आये। इस बार आंकड़ा 312 पर पहुंचा है। राज्य में होनेवाली इस बार की गणना में बाघों की संख्या बढ़ने का विश्वास वन विभाग को है।