कलेक्टर की अनुमति के बाद भी खसरा नंबर के कारण अटकाया प्रकरण
शहडोल कलेक्टर की अनुमति के बाद भी खसरा नंबर के कारण अटकाया प्रकरण
डिजिटल डेस्क,शहडोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी रेल परियोजना अनूपपुर-कटनी थर्ड लाइन में उमरिया डीएफओ का अड़ंगा ऐसा लगा कि रेलवे के अधिकारी काम करवाने के लिए जमीन के दस्तावेज ही निकालते रहे। ताजा मामला बंधवाबारा में सामने आया। यहां पटरी बिछाने के लिए 28 पेड़ काटने की नौबत आई तो 21 मार्च को कलेक्टर उमरिया द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद भी उमरिया डीएफओ मोहित सूद ने यह कहकर प्रकरण अटका दिया कि कलेक्टर की अनुमति में खसरा नंबर नहीं है।
मौके पर पहुंचे वन विभाग के एसडीओ ने कहा जब तक कलेक्टर के आदेश पर खसरा नंबर दर्ज नहीं होगा तब तक काम नहीं करने दिया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों ने जानकारी कलेक्टर को दी तो निर्देश पर पटवारी और ग्रामीण पहुंचे। वन विभाग के एसडीओ भी पहुंचे और पंचनामा तैयार किया गया। इसमें खसरा नंबर दर्ज कर सभी ने हस्ताक्षर किए। रेलवे के अधिकारी बता रहे हैं कि वन विभाग के अधिकारी अब इस पंचनामा को भी नहीं मान रहे हैं और काम में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं।
2020 में पूरा होना था काम, अभी भी आधे से ज्यादा शेष
रेल बढ़े देश बढ़े योजना में शहडोल संभाग में चल रहे अनूपपुर-थर्ड लाइन परियोजना का काम 2020 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था। रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि इस काम में सबसे ज्यादा अड़ंगा उमरिया डीएफओ कार्यालय से डाला गया और काम की गति सबसे ज्यादा बंधवाबारा से करकेली के बीच प्रभावित हुआ।
2 साल से तैयार कर रहे कागज
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि उमरिया वन विभाग द्वारा लगातार किए गए पत्राचार के जवाब तैयार करने और कागज जुटाने में ही ढाई साल से ज्यादा समय लगा गया। जिस जमीन का डीनोटिफिकेशन 1968 में हो गया था और भोपाल उच्च कार्यालय से पत्र आ गया था। उमरिया डीएफओ ने उसे भी मानने से इंकार कर दिया गया।
हमारे तरफ से अब कोई अड़ंगा नहीं है। रेलवे के अधिकारी पहले कागज नहीं दिखा रहे थे, अब दिखा रहे हैं तो काम कर सकते हैं।
मोहित सूद डीएफओ उमरिया