डायरेक्ट सेकंड ईयर प्रवेश हो सकते हैं रद्द!
डायरेक्ट सेकंड ईयर प्रवेश हो सकते हैं रद्द!
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में जारी इंजीनियरिंग की "डायरेक्ट सेकंड ईयर' की प्रवेश प्रक्रिया को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है। दावा है कि राज्य सरकार ने "डायरेक्ट सेकंड ईयर' में ईडब्लूएस कोटा लागू नहीं किया है। सोमवार को इस प्रकरण में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को "डायरेक्ट सेकंड ईयर' की सीटें और कोटे की विस्तृत जानकारी एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस पूरी प्रवेश प्रक्रिया को अपने आदेश के अधीन रखते हुए राज्य को आदेश दिए कि, वे अभ्यर्थियों को सूचित कर दें कि, "डायरेक्ट सेकंड ईयर' में उन्हें मिल रहे प्रवेश केवल प्रोविजनल प्रवेश हैं। याचिका सही पाए जाने पर उनके प्रवेश रद्द भी हो सकते हैं। याचिकाकर्ता उत्कर्षा देशमुख ने कोर्ट में दावा किया है कि, सीईटी सेल और उच्च शिक्षा संचालनालय द्वारा आयोजित इस प्रवेश प्रक्रिया में ईडब्लूएस कोटा नहीं रखा गया है, जबकि बीई-बी.टेक प्रथम वर्ष के प्रवेश में यह आरक्षण दिया गया है। केंद्र सरकार के निर्णय के मुताबिक सभी पाठ्यकमों में 10 प्रतिशत सीटें ईडब्लूएस के तहत आरक्षित होनी चाहिए। डायरेक्ट सेकंड ईयर में इसे लागू न करके सरकार भेदभाव कर रही है।
सरकार ने एआईसीटीई को बताया जिम्मेदार
इस याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने कोर्ट में शपथपत्र दिया कि, अखिल भारतीय तंत्र शिक्षा परिषद ने इंजीनियरिंग के "डायरेक्ट सेकंड ईयर' में ईडब्लूएस आरक्षण के लिए सीटें नहीं बढ़ाई, इसलिए राज्य सरकार ने भी इस आरक्षण को लागू नहीं किया। इस पर कोर्ट ने साफ कहा कि, आरक्षण लागू करना राज्य सरकार का काम होता है, एआईसीटीई की इसमें कोई भूमिका नहीं होती। सोमवार को इस मामले में हुई सुनवाई में जब राज्य सरकार अपनी भूमिका पर डटी रही, तो कोर्ट ने उन्हें "डायरेक्ट सेकंड ईयर' की सीटें और कोटे की विस्तृत जानकारी एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। कर्ता की ओर से एड.आर.वी. गेहलोत ने पक्ष रखा।