बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने वाले को बेदखल करने पर रोक, जवाब देने का निर्देश 

 बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने वाले को बेदखल करने पर रोक, जवाब देने का निर्देश 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-08 09:08 GMT
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने वाले को जमीन से बेदखल किए जाने पर रोक लगा दी है। जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने राज्य शासन और सिवनी कलेक्टर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।

कोटवारी का मानदेय तो नहीं बढ़ाया

सिवनी निवासी राम सुरेश दाहिया की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वह ग्राम कोटवार परिवार से संबंधित है। उसने अपनी बंजर सेवाभूमि को रात-दिन मेहनत कर उपजाऊ बनाया। याचिका में कहा गया कि उसने कलेक्टर को आवेदन दिया कि उसको कोटवारी के एवज में मिलने वाले मानदेय में इजाफा कर दिया जाए तो वह सेवा भूमि को सरकारी मद में दर्ज कराने के लिए तैयार है। कलेक्टर ने उसकी कोटवारी का मानदेय तो नहीं बढ़ाया, लेकिन उसकी सेवाभूमि को सरकारी मद में दर्ज कर लिया। अधिवक्ता मोहन लाल शर्मा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया है, ऐसे में उसे जमीन से बेदखल नहीं किया जा सकता है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने याचिकाकर्ता को जमीन से बेदखल करने पर रोक लगा दी है।

जमीन वापस लेने के मामले की सुनवाई बढ़ी

डब्ल्यूसीएल पेंच एरिया के महाप्रबंधक की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि छिंदवाड़ा के सिविल लाइंस क्षेत्र में डब्ल्यूसीएल को 19 एकड़ जमीन राज्य सरकार द्वारा लीज पर दी गई थी। डब्ल्यूसीएल ने यहां पर ट्रेनिंग सेंटर, रिहेबिलिटेशन सेंटर और कार्यालयों का निर्माण किया है। छिंदवाड़ा कलेक्टर ने 2 अगस्त को लीज निरस्त कर जमीन वापस लेने का आदेश जारी कर दिया। 3 अगस्त को तहसीलदार जमीन पर कब्जा लेने पहुंच गए। डब्ल्यूसीएल की ओर से शनिवार 3 अगस्त को अवकाश के दिन दोपहर 2 बजे याचिका दायर की। शनिवार दोपहर 3 बजे हाईकोर्ट के जस्टिस जेपी गुप्ता की विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई कर जमीन वापस लेने के आदेश पर रोक लगा दी थी। बुधवार को इस मामले की सुनवाई होना थी, लेकिन प्रकरण का नंबर नहीं आ पाया। अब मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
 

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