दो दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद हाथ लगी नरभक्षी बाघिन, गोरेवाड़ा जू में रखा जाएगा
दो दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद हाथ लगी नरभक्षी बाघिन, गोरेवाड़ा जू में रखा जाएगा
डिजिटल डेस्क,नागपुर। वन विभाग द्वारा मई के अंतिम सप्ताह में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के कोर एरिया में छोड़ी गई ई-वन नरभक्षी बाघिन को पकड़ने में आखिरकार सफलता मिली। पिंजरे में कैद कर उसे नागपुर स्थित गोरेवाड़ा के प्राणी संग्रहालय में लाया गया है। आदमखोर ई-वन बाघिन ने मेलघाट अंतर्गत कुछ गांवों में दहशत मचा रखी थी। गत 2 जुलाई को इसके हमले में 7 वर्षीय बालिका बुरी तरह घायल हो गई थी। 30 अगस्त को धारणी तहसील अंतर्गत दादरा में किसान पर भी जानलेवा हमला किया था।
किसान की मौके पर ही मौत हो गई थी। हमले में एक अन्य व्यक्ति भी घायल हुआ था। अमरावती में उसका उपचार चल रहा है। शिकारी बाघिन की दहशत को देखते हुए वन विभाग हरकत में आया। नागपुर, बुलढाणा व मेलघाट से रेस्क्यू दल धारणी तहसील में दाखिल हुआ। 31 अगस्त से तलाशी अभियान शुरू हुआ। जीपीएस प्रणाली पर गोलाई गांव के परिसर में बाघिन के होने के संकेत मिलते ही रेस्क्यू दल सतर्क हुआ। रविवार शाम 6 बजे उसे बेहोश कर पिंजरे में कैद किया गया। उसे बेहोश करने के लिए 4 लाख रुपए के ट्रैग्यूलाइजर गन का इस्तेमाल किया गया। करीब 15 मिनट तक बाघिन बेहोश रही। वजन 170 किलो बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है विदर्भ का फारेस्ट रेंज बाघों के लिए पिछले दो वर्षों से सबसे अधिक सुर्खियों में रहा है। इस बीच जंगल से कुछ बाघ लापता भी हुए हैं जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया। काफी हो-हल्ला व कार्रवाई के बाद मामला अब ठंडे बस्ते में चला गया है। पिछले वर्ष भर में दो बाघिनों की मौत भी हुई है । इनके साथ इनके शावक भी मारे गए हैं। विदर्भ के जंगल क्षेत्रों में ताड़ोबा,पेंच, बोरधरण व मेलघाट प्रमुख हैं। इन जंगलों में बाघों के हमले आए दिन सामने आते रहते हैं। प्रशासन के भररक प्रयासों के बाद मेलघाट के जंगल से इन नरभक्षी बाघिन को पकड़े जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।