95 फीसदी थानों में नहीं है महिला कक्ष, लगातार बढ़ रही महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं

95 फीसदी थानों में नहीं है महिला कक्ष, लगातार बढ़ रही महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-04 06:01 GMT
95 फीसदी थानों में नहीं है महिला कक्ष, लगातार बढ़ रही महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर समेत प्रदेश के सभी पुलिस थानों में महिलाओं की शिकायतों को सुनने के लिए स्वतंत्र महिला पुलिस कक्ष स्थापित करने का नियम होने के बावजूद अभी तक 95 फीसदी थानों में महिला कक्ष नहीं है। बेटियां बहुउद्देशीय सामाजिक संस्था ने महिलाओं पर अत्याचार बढ़ने का आरोप लगाते हुए लापता महिला पुलिस कक्षों को खोजने की मांग मुख्यमंत्री व पुलिस महानिदेशक से की है। 

शिकायतों पर नहीं होती गहराई से जांच
पूर्व न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति ने राज्य के सभी पुलिस थानों में स्वतंत्र महिला पुलिस कक्ष स्थापित करने की सिफारिश की थी। महाराष्ट्र पुलिस ने 2012 में इस संबंध में परिपत्रक जारी किया था। संस्था ने दावा किया कि नागपुर समेत राज्य में 95 फीसदी पुलिस थानों में महिला पुलिस कक्ष ही नहीं है। कक्ष नहीं होने से महिलाआें से संंबंधित शिकायतों की सुनवाई महिला पुलिस अधिकारी के पास नहीं होती। महिलाआें के साथ ही बच्चों के साथ होनेवाले अत्याचार की सुनवाई या जांच भी महिला पुलिस अधिकारी नहीं करती। महिला कक्ष नहीं होने व महिला अधिकारी नियुक्त नहीं होने से महिलाआें व बच्चों से संबंधित अन्याय, अत्याचार व प्रताड़ना की शिकायतों की गहराई से जांच नहीं हाे पाती। महिलाएं अपनी व्यथा महिला अधिकारी को खुलकर बता सकती हैं। 

बढ़ रही अत्याचार की घटनाएं
संस्था के अध्यक्ष श्रीधर आडे का कहना है कि पुलिस विभाग परिपत्रक जारी करके चुप बैठ गया, जबकि स्वतंत्र कक्ष नहीं होने से महिलाआें पर अत्याचार के मामले बढ़ने का आरोप लगाया। सही जांच नहीं होने से कोर्ट से आरोपी छूट जाते हैं। महाराष्ट्र छोड़ अन्य राज्यों में 624 से ज्यादा महिला पुलिस स्टेशन हैं। श्री आडे ने सरकारी कागज पर ही महिला कक्ष होने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि 95 फीसदी पुलिस थानों में महिला कक्ष ही नहीं है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर लापता महिला पुलिस कक्षों को खोजने की गुजारिश की गई है। 
 

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