आदिवासियों के नाम पर 50 करोड़ रू. का बंदरबांट, जरूरतमंदों को नहीं मिला कोई लाभ
आदिवासियों के नाम पर 50 करोड़ रू. का बंदरबांट, जरूरतमंदों को नहीं मिला कोई लाभ
डिजिटल डेस्क, शहडोल। शहडोल जिले में आदिवासी खासकर बैगा परिवारों ही हालत को देखते हुए लग रहा है कि शासन स्तर से आवंटित राशियों का उपयोग बेहतर ढंग से नहीं हुआ। यदि हुआ होता तो आदिवासी आज भी पिछड़े और गरीब नहीं होते। जिले में पिछले तीन-चार वर्षों में जो 50 करोड़ से अधिक की राशि जारी हुई, उससे कार्य के बाद बंटवा ही दिए जाते तो 1.31 लाख बैगा परिवार 50-50 हजार रुपये के मालिक होते।
बैगा जनजातियों के विकास के लिए 3-3 प्राधिकरण
उक्ताशय की बात एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के अध्यक्ष एवं विधायक बिसाहूलाल सिंह ने सलाहकार मंडल की बैठक में कही। उन्होंने कहा कि यह जिला आदिवासी बाहुल्य है। बैगा जनजातियों के विकास के लिए 3-3 प्राधिकरण, बैगा विकास, सहरिया विकास व भारिया विकास प्राधिकरण बने हुए हैं। इन तीनों प्राधिकरणों में हर वर्ष करोड़ो रुपये आते हैं। लेकिन मैदानी स्तर पर विकास नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति ठीक नहीं है कि आदिवासी विकास विभाग, अभिकरण व डीपीसी के जरिए राशि खर्च होती हैं लेकिन तीनों ही विभागों में आपसी समन्वय नहीं है। अध्यक्ष ने कहा कि पहले जो होता आया है अब वहीं नहीं चलेगा। पारदर्शिता के साथ आदिवासी विकास के काम होंगे। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र सिंह मरावी, उमरिया ज्ञानवती सिंह, विधायक जयसिंह मरावी, कलेक्टर ललित दाहिमा, अपर आयुक्त अमर सिंह बघेल, अध्यक्ष जनपद पंचायत अनूपपुर ममता सिंह, अध्यक्ष जनपद सोहागपुर मीरा कोल, गोहपारू नीलम सिंह, बुढार ललन सिंह, परियोजना प्रशासक डॉ प्रयास कुमार प्रकाश एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
स्वागत, सत्कार में फूंक दिए 60 लाख रुपए
मंडल की बैठक में बिसाहूलाल सिंह ने भाजपा शासन काल में लालपुर में हुए बैगा आदिवासी सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि इस सम्मेलन में चाय, नाश्ता और स्वागत-सत्कार में ही 60 लाख रुपये खर्च कर दिए गए। उन्होंने कहा कि जो राशि बैगाओं के उत्थान पर खर्च होना चाहिए था, उसे यूं ही बहा दिया गया। यह तो एक उदाहरण है, इसी प्रकार न जाने कितने कार्यक्रमों में राशि उड़ाई गई होगी।
कार्यों का होगा भौतिक सत्यापन, नहीं चलेगी मनमानी
सख्त लहजे में परियोजना मंडल अध्यक्ष ने कहा कि अभी तक जो होता आया है वह सब नहीं चलेगा। परियोजना अंतर्गत किस क्षेत्र में कौन से कार्यो की जरूरत है, जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लेकर मंडल में अनुमोदन के बाद ही मंजूर होंगे। परियोजना सोहागपुर में आए पांच करोड़ रुपये के कार्य के लिए जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लिए जाएंगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि जिले में पिछले पांच वर्षों में आदिवासी विकास से संंबंधित जितने भी कार्य हुए हैं, चाहे वह किसी भी विभाग ने कराएं हो, उनका भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। इसके लिए अलग से टीम बनाई जाएगी। मॉनीटरिंग कलेक्टर के साथ-साथ अपर आयुक्त शहडोल संभाग, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पचंायत, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास भी करेंगे।