सीट बंटवारे पर रार: 17 सीट लेने पर अड़ा जदयू, राजद को दिया कांग्रेस के साथ मोलभाव करने का जिम्मा
- विपक्षी इंडिया गठबंधन में रार
- सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर
- कांग्रेस के साथ मोलभाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर तेज हो गया है। पार्टियां सीट बंटवारे को यथाशीघ्र मूर्त्त रूप देने की कोशिश में हैं। बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच बैठक हो चुकी है। इस बैठक से दूर रहे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू ने प्रदेश की 17 सीटों पर दावा ठाेंककर कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है।
राजद को दिया कांग्रेस के साथ मोलभाव करने का जिम्मा
जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी 17 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। जदयू सीट बंटवारे को लेकर हुई बैठक से अभी दूर है। दरअसल वह कांग्रेस की ओर से सीटों को लेकर होने वाले मोलभाव से खुद को अलग रखना चाहती है। यही वजह है कि 17 सीटें अपने खाते में रखकर जदयू ने प्रदेश की 23 सीटों की जिम्मेदारी राजद के कंधों पर डाल दी है।
जदयू के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने बताया कि राजद और जदयू के खाते में 17-17 तो शेष 6 सीटें कांग्रेस और भाकपा माले के लिए छोड़ने की योजना है। उन्होंने बताया कि जदयू कम-से-कम 17 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगा, जिसमें पार्टी की मौजूदा 16 सीटें शामिल हैं। 17वीं सीट दरभंगा होगी, जहां से पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय झा चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ ही पार्टी नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की जुगत में भी है।
कांग्रेस व्यवहारिक रवैया अपनाए : जदयू
जदयू और राजद ने बिहार में कांग्रेस को चार और भाकपा माले को दो सीटें देने की पेशकश तो की है, लेकिन कांग्रेस इस संख्या से संतुष्ट नहीं है। उसने रविवार को हुई बैठक में 11 सीटों पर अपना दावा ठोंका है। लेकिन राहुल गांधी के हस्तक्षेप से उसकी कोशिश आखिरकार 5 से 6 सीटें लेने की है। उधर केसी त्यागी कहते हैं कि कांग्रेस सीट लेने में व्यवहारिक रवैया अपनाए और उतनी ही सीटें ले, जहां उसके जीतने की संभावना हो।
इस कारण कांग्रेस को मिलेगी कम सीट
राजद के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कांग्रेस और भाकपा माले के खाते में जाने वाली सीटों की जीत की संभावना राजद व जदयू कोटे वाली सीटों के मुकाबले कम मानी जा रही है। लिहाजा बिहार के उपमुख्यमंत्री व राजद नेता तेजस्वी यादव की कोशिश इन दोनों पार्टियों को कम-से-कम सीटें देने की है।