नागपुर: पेड़ों में अटके मांजे की बलि चढ़ रहे हैं बेजुबान, 6 पक्षियों की जीवन डोर कटी
- संक्राति पर्व खत्म हुए 15 दिन से ज्यादा बीते
- नायलॉन मांजे की बलि चढ़ने का सिलसिला
डिजिटल डेस्क, नागपुर. संक्राति पर्व खत्म हुए 15 दिन से ज्यादा बीत गए। लेकिन अभी भी पक्षियों का नायलॉन मांजे की बलि चढ़ने का सिलसिला शुरू है। वन विभाग के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में प्रति दिन मांजा से कटनेवाले पक्षियों को लाया जा रहा है। जिसमें कई पक्षियों की मौत होने की खबर है। वर्तमान स्थिति में मांजा से कटने के बाद घायल पक्षियों में ईगल, कबूतर व ब्लैक काइट आदि का इलाज हो रहा है। वहीं 6 पक्षियों की जिंदगी की डोर कट गई है।
एक ओर पतंगबाजी मकर संक्रांति पर होती है वहीं दूसरी ओर मांजा पेड़ों, पोलों व अन्य स्थानों पर अटका रह जाता है जिसका खामियाजा बेजुबानों को ज्यादा भुगतना पड़ रहा है। नायलॉन मांजे की बात करें तो इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिसका मुख्य कारण इस मांजे से पक्षियों ही नहीं बल्कि इंसानों की भी मौत हो जाती है।
बावजूद इसके पतंग के शौकीन इस बात की ओर ध्यान नहीं देकर अपने मनोरंजन के लिए इसी मांजे का इस्तेमाल करते हैं। इस साल भी संक्रांति पर जमकर नॉयलान मांजे का इस्तेमाल किया गया है। जिसका खामियाजा कई इंसानों को जख्मी होकर चुकाना पड़ा है। लेकिन अब इंसान सुरक्षित हैं, क्योंकि मांजा अब सड़कों पर नहीं है। लेकिन उस वक्त कटी पतंग जो मांजे के साथ पेड़ों पर अटकी है, वह अब पक्षियों के लिए फंदे से कम साबित नहीं हो रही है।
ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में हो रहा इलाज
मांजा दशकों तक सड़ता नहीं है। ऐसे में संक्राति के 15 दिन बाद तो इसकी मजबूती का अंदाजा लगाना आसान है। वर्तमान स्थिति में पेड़ों पर इस मांजे में फंसनेवाले पक्षियों की संख्या बढ़ती जा रही है। अभी तक मांजे से घायल होकर इलाज के बाद आसमान में उड़नेवाले पक्षियों की संख्या 62 है, जबकि मांजे से घायल होकर फिर कभी उड़ान न भरनेवाले पक्षियों की संख्या 6 है। अभी-भी यह सिलसिला खत्म नही हो रहा है। रोज टीटीसी में मांजे से घायल होनेवाले पक्षियों की संख्या देखने मिल रही है। अभी-भी आधा दर्जन पक्षी घायल है। ऐसे में पक्षी मित्रों ने सामान्य लोगों से अपील की है, कि घर आंगन में रहनेवाले पेड़ पर अटके मांजों को खुद निकालें ताकि कोई पक्षी इसमें फंसकर घायल न हो।