खेती-किसानी: मौसम की बेरूखी, किसानों ने नहीं सुनी, नुकसान हुआ ताे फूटेगा सरकार पर ठीकरा

  • जिले में अब तक नहीं हुई 100 मिमी बारिश
  • किसान नहीं माने कृषि विभाग की सलाह
  • नियम-शर्तों का पालन होने पर ही बीमा कंपनी देती है क्षतिपूर्ति

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-29 11:17 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कृषि विभाग ने जिले में जब तक 100 मिमी बारिश नहीं होती, तब तक बुआई नहीं करने की अपील किसानों से कई बार की, लेकिन 90 फीसदी से अधिक किसानों ने बुआई कर दी है। अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं होने से फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है। फसल बर्बाद हुई तो किसानों का गुस्सा सरकार पर फूट सकता है। किसानों ने फसल बीमा कराया है, लेकिन बीमा कवर के लिए कंपनी द्वारा तय फसल का नुकसान होना जरूरी होता है। तय नियम-शर्तों का पालन होने पर ही बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति देती है।

नागपुर जिले में 2 लाख से अधिक किसान हैं, जो साल में दो बार फसल लेते हैं। जिले के किसान पूरी तरह बारिश पर निर्भर हैं। पर्याप्त बारिश नहीं होने पर फसल बर्बाद होने का खतरा बना रहता है। इसीलिए कृषि विभाग ने 100 मिमी तक बारिश होने के बाद ही बुआई करने की अपील की थी, लेकिन 90 फीसदी से अधिक किसान बुआई कर चुके हैं। बारिश बार-बार दगा दे रही है। खड़ी फसल बारिश नहीं होने पर खराब होने का खतरा बढ़ गया है।

 पर्याप्त बारिश होने दें : कृषि विभाग का कहना है कि किसानों का नुकसान न हो, इसलिए पर्याप्त बारिश होने के बाद ही बुआई करने की अपील की गई है। 100 मिमी बारिश होने के बाद बुआई करने का परामर्श दिया है, लेकिन किसान इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे है। संकट के समय सरकार मदद करती ही है, लेकिन थोड़ी सावधानी बरती तो भारी नुकसान से बचा जा सकता है। जिले में अधिकांश तहसीलों में 100 मिमी तक बारिश नहीं हुई है। किसानों ने बारिश का इंतजार करना चाहिए। जल्दबाजी में बुआई करने पर नुकसान हो सकता है। कृषि विभाग निरंतर मौसम विभाग से जरूरी जानकारी ले रहा है।

मदद व पुनर्वास विभाग से आस : इस साल बार-बार हुई बेमौसम बारिश से फसलों का नुकसान हो चुका है। उसकी क्षतिपूर्ति अभी तक नहीं मिली है। अधिकांश मामलों में बीमा कंपनी नियम-शर्तों की दुहाई देकर हाथ झटक चुकी है। किसानों को मदद व पुनर्वास विभाग से आस है। बेमौसम बारिश को प्राकृतिक आपदा मानकर एनडीआरएफ व एडीआरएफ की तरफ से भी आर्थिक सहायता दी जाती है। किसानों को एनडीआरएफ व एसडीआरएफ से भी मदद की उम्मीद है।  


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