नागपुर: नियमों को ठेंगा दिखा रहे स्ट्रीट फूड व्यवसायी, बिना प्रशिक्षण लगा देते दुकान
- बिना प्रशिक्षण ही लगा देते हैं खाद्य पदार्थ की दुकान
- फास्टो फूड सेफ्टी ट्रेनिंग एंड क्रिएशन के तहत प्रशिक्षण लेना जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. यदि आपको किसी भी तरह का खाद्य पदार्थ बेचना है, तो फास्टो फूड सेफ्टी ट्रेनिंग एंड क्रिएशन के तहत प्रशिक्षण लेना जरूरी है। वर्ष 2011 से यह नियम लागू किया है। एफएसएसएआई ने इस पर सख्ती करते हुए कई बार बिना प्रशिक्षण खाद्य पदार्थ की बिक्री करनेवालों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। बावजूद इसके इस नियम को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
यही नहीं किसी भी कंपनी, दुकान में 25 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं, तो उन्हें एक फुड सेफ्टी अधिकारी नियुक्त करना जरूरी है। लेकिन वर्तमान में शहर में अपने हिसाब से ही दुकानें लगाई जा रही है। हैरानी की बात यह है, कि एफडीए ने अभी तक इन पर कार्रवाई की जहमत तक नहीं उठाई है। जिससे लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है।
रोजगार की कमी कहें या ज्यादा मुनाफा, कई लोग विभिन्न तरीके से खाद्य पदार्थ बनाकर बेचते हैं। कोई हाथ ठेले के सहारे बेचता है, तो कोई बड़े हॉटेल्स के माध्यम से बनाते हैं। किसी तरह कोई नियम लागू नहीं रहने से कोई भी खाद्य पदार्थ बनाकर बेचते रहते हैं।
अधीकृत आंकड़ों की बात करे तो नागपुर जिले अंतर्गत 12 हजार 7 सौ 54 खाद्य विक्रेता है। खाद्य पदार्थ विक्रेताओं की संख्या लगातार बढ़ने में खान-पान में असुरक्षितता भी बन रही है। अन्न सुरक्षा कानून 2006 के अनुसार लाइसेंसधारकों को अन्न सुरक्षा प्रशिक्षण लेना जरूरी है।
सुध नहीं ले रहा विभाग
इस पर अमल करने के लिए भारतीय अन्न सुरक्षा कानून प्राधिकरण नई दिल्ली ने फास्टो फूड सेफ्टी ट्रेनिंग एंड क्रिएशन मुहिम 2017 से चलाई है। बावजूद इसके अन्न व औषधि विभाग की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है। हालही में इसमें सख्ती से लागू किया है। इसके अंतर्गत सभी केन्द्रीय व राज्य लाइसेंस धारकों को कम से कम एक व्यक्ती फास्ट्रो प्रशिक्षण प्राप्त अन्न सुरक्षा अधिकारी रहना जरूरी है। जिसके पास 25 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं, ऐसे में हर 25 मजदूरों के ऊपर भी एक फास्ट्रो प्रशिक्षण प्राप्त अन्न सुरक्षा अधिकारी रहना अनिवार्य है। यह प्रशिक्षण खुद या मालिक या अपने कर्मचारियों में किसी को भी करा सकते हैं। लेकिन स्ट्रीट व्यवसायी इस नियम को नहीं मान रहे हैं। वहीं एफडीए भी इसकी सुध नहीं ले रहा है।